सतना:पर्यावरण सुरक्षा के लिये ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार फसलों विशेषतः धान एवं गेहूं की फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाना प्रतिबंधित किया गया है। जिले में भी नरवाई जलाने से होने वाली आगजनित घटनाओं पर नियंत्रण के लिये कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी सतना डॉ. सतीश कुमार एस एवं मैहर रानी बाटड द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर अनुविभागीय दंडाधिकारियों को संबंधित व्यक्ति पर तत्काल पात्रतानुसार जुर्माना अधिरोपित करते हुये आग के कारण का पंचनामा तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं।
साथ ही ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये गये हैं। लेकिन प्रतिबंधों के बावजूद भी जिले में नरवाई जलाने की घटनायें सामने आ रही हैं। दो एकड़ से कम भूमिधारक कृषकों द्वारा राशि 2500 रूपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक पांच एकड़ से कम भूमिधारक कृषकों द्वारा राशि 5000 रूपये प्रति घटना तथा पांच एकड़ से अधिक भूमिधारक कृषकों द्वारा राशि 15000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति देय होगी।
उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास आशीष पाण्डेय ने बताया कि सतना एवं मैहर जिले के समस्त अनुविभागों में 3 दिसम्बर 2025 तक 1105 स्थानों पर नरवाई जलाने की घटनायें रिकॉर्ड की गई हैं। जिसमें रघुराजनगर में 90, कोठी में 45, रामपुर बघेलान में 257, कोटर में 99, मझगवां में 11, बिरसिंहपुर में 48, नागौद में 198 तथा उचेहरा में 152 नरवाई जलाने की घटनायें रिकार्ड की गई है। इसी प्रकार मैहर जिले की तहसील अमरपाटन में 90, मैहर में 100 तथा रामनगर में 15 नरवाई जलाने की घटनायें रिकार्ड की गई है।
