इंदौर: नवरात्र के नौ दिनों की भक्ति और उमंग के बाद, जब विजयादशमी का पावन दिन आया, तो बंगाली क्लब इंदौर में एक खास रीति का आयोजन हुआ – सिंदूर खेला। कल्पना कीजिए… माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा के सामने, सफेद साड़ियों में सजी बंगाली महिलाएं, हाथों में सिंदूर लिए, आस्था से भरे हुए हृदय।
पहले उन्होंने माँ दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया, मानो माँ से आशीर्वाद की याचना कर रही हों। और फिर शुरू हुआ रंगों का वो उत्सव! महिलाओं ने एक-दूसरे के माथे पर प्रेम से सिंदूर लगाया। लाल रंग के बीच झलकती मुस्कानें, गूँजती हँसी की आवाजें, और हवा में घुली भक्ति की सुगंध – पूरा पंडाल जैसे माँ दुर्गा की शक्ति और करुणा से ओतप्रोत हो गया।
यह केवल एक रस्म नहीं थी, बल्कि सुख-समृद्धि और मंगल की कामना का माध्यम था। हर रंग के साथ, हर आलिंगन के साथ, निकल रही थीं शुभकामनाएं – “सुखी रहो, समृद्ध रहो, माँ दुर्गा की कृपा सदा बनी रहे।” पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भी इस खूबसूरत परंपरा का हिस्सा बने। वातावरण में छाई थी एक अलग ही ऊर्जा, जो भक्ति और उल्लास का अनोखा संगम थी। सिंदूर खेला सिखाती है कि जीवन में खुशहाली केवल माँ की कृपा और आपसी प्रेम से ही संभव है।
