‘चीता स्टेट’ : पर्यटन का नया स्वर्ण अध्याय

गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर जब पूरा विश्व वन्यजीव संरक्षण की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहा था, वहीं भारत का मध्य प्रदेश इस सफलता का असली नायक बनकर उभर रहा है. ‘प्रोजेक्ट चीता’ की अभूतपूर्व उपलब्धियों ने न केवल विलुप्तप्राय प्रजाति को भारत में पुनर्जीवित किया, बल्कि मध्य प्रदेश को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक नए, अनोखे अंदाज़ में स्थापित किया है. यह केवल संरक्षण का अध्याय नहीं, बल्कि पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि,

तीनों क्षेत्रों को एक साथ आगे बढ़ाने वाली ऐतिहासिक पहल है. कभी अपेक्षाकृत कम चर्चित कूनो नेशनल पार्क आज दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों का गंतव्य बन गया है. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों की सफल पुनर्स्थापना ने कूनो को अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बना दिया है. कुल 32 चीतों की मौजूदगी और कई बार हुए शावकों के जन्म ने यह संदेश दिया है कि भारत वन्यजीव पुनर्जीवन की वैश्विक प्रयोगशाला बन चुका है. हालांकि यह कहानी सिर्फ चीतों की नहीं, यह पर्यटन की संभावनाओं से चमकते ‘नए मध्य प्रदेश’ की भी है. इस समय मध्य प्रदेश भारत का एकमात्र ऐसा प्रदेश है जहां पर्यटक खुले जंगल में गतिशील चीते देख सकते हैं. यह अनुभव स्वयं में इतना अद्वितीय है कि यूरोप, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया तक के पर्यटक विशेष रूप से कूनो पहुंच रहे हैं. राज्य सरकार ने इस अवसर को पहचानते हुए पर्यटन संरचना को तेजी से उन्नत किया है, यहां आधुनिक टेंट सिटी, ‘कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट’ जैसे इको-फ्रेंडली आयोजन, एडवेंचर और फोटो-सफारी के नए पैकेज, और ग्रामीण इलाकों में होमस्टे मॉड्यूल के जरिए अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है. इन सबने कूनो को सिर्फ एक पार्क नहीं, बल्कि एक अनुभव-प्रधान पर्यटन मॉडल बना दिया है. पर्यटक अब यहां वन्य जीवों के साथ स्थानीय संस्कृति, खान-पान और परंपराओं का भी समग्र अनुभव लेते हैं. कूनो में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की बढ़ती संख्या ने श्योपुर और आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को नया जीवन दिया है. एक अनुमान के अनुसार, पर्यटक संख्या बढऩे से प्रदेश की इको-टूरिज़्म आय में अब तक 28-32 फीसदी तक वृद्धि हुई है, और अगले पांच वर्षों में यह दोगुनी होने की संभावना है. चीतों के लिए 540 वर्ग किमी का अतिरिक्त लैंडस्केप प्रस्ताव और तेंदुओं से शावकों को बचाने के लिए विशेष निगरानी तंत्र यह दिखाता है कि सरकार पर्यटन की सफलता के साथ-साथ पारिस्थितिकी संतुलन को प्राथमिकता दे रही है. टाइगर स्टेट, लेपर्ड स्टेट और अब चीता स्टेट,यह तमगा केवल एक वन्यजीव उपलब्धि नहीं, बल्कि उस प्रशासनिक दृष्टि और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रमाण है जिसे मध्य प्रदेश वर्षों से निभा रहा है. बहरहाल, अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि वन्यजीव संरक्षण केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी नहीं, बल्कि स्मार्ट आर्थिक और पर्यटन रणनीति भी है. कूनो की सफलता ने मध्य प्रदेश को दुनिया के सामने एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है, जहां प्रकृति, पर्यटन और विकास एक साथ आगे बढ़ते हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश अब केवल जंगलों का प्रदेश नहीं, बल्कि वह भूमि है जहां एक विलुप्त प्रजाति पुनर्जीवित हुई, और जहां से भारतीय पर्यटन ने दुनिया को नए सिरे से आकर्षित करना शुरू किया है.

 

 

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