नाबालिग बच्चों के पासपोर्ट के लिए पति की अनुमति आवश्यक नहीं

अभिनेता नितीश भारद्वाज की आपत्ति हाईकोर्ट ने खारिज की
जबलपुर: अभिनेता नितिष भारद्वाज की जुडवा नाबालिग बेटियों ने पासपोर्ट रिन्यूवल के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी। जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा है कि नाबालिग बच्चों के पासपोर्ट के लिए पिता की अनुमत्ति आवष्यक नहीं है। एकलपीठ ने अपने आदेश में भोपाल पासपोर्ट कार्यालय को निर्देशित किया है कि नाबालिग जुड़वा बहनों के पासपोर्ट का नवीनीकरण की कार्यवाही एक सप्ताह में पूर्ण करें।

अभिनेता नितीश भारद्वाज की नाबालिग बेटी देवयानी तथा शिवरंजनी की तरफ से उसकी मां स्मिता भारद्वाज की तरफ से उक्त याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि दोनों नाबालिग बच्चों के पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए उन्होंने भोपाल पासपोर्ट कार्यालय में आवेदन किया था। पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से बच्चों के पिता को संचार माध्यम से इसकी सूचना दी गयी थी। जिसके बाद पिता ने आपत्ति प्रस्तुत की थी। पिता द्वारा आपत्ति प्रस्तुत करने पर पासपोर्ट कार्यालय ने पासपोर्ट रिन्यूअल से इंकार करते हुए न्यायालय से अनुमति लेने उन्हें सूचित किया था।
याचिका में कहा गया था कि माता-पिता के बीच तलाक व बच्चों की अभिरक्षा को लेकर मुम्बई की बांद्रा कोर्ट में मामला लंबित है। मॉ ने बांद्रा कोर्ट में बच्चों के पासपोर्ट रिन्यूअल की अनुमति प्रदान करने आवेदन किया था। पिता के द्वारा आपत्ति पेश करने पर मॉ ने प्रस्तुत आवेदन वापस लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की राहत चाही गयी थी। जिस पर न्यायालय ने 18 जनवरी 2025 को सुनवाई निर्धारित की है।

याचिका में कहा गया था कि उनकी दोनों बेटियों को भारत महोत्सव में शामिल होने यूके की ऑक्सपोर्ट यूनिवर्सिटी जाना है। पिता ने आपत्ति पेश करते हुए कहा है कि बच्चों को दूर ले जाकर विदेश में पढाई के लिए न्यायालय के समक्ष गलत जानकारी पेश की गयी है। साल 2024 का भारत महोत्सव कार्यक्रम हो गया है और 2025 को कोई प्रोग्राम अभी तक निर्धारित नहीं हुआ है।
एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि जब तक कोई न्यायालय ने पासपोर्ट रिन्यूअल पर रोक नहीं लगाई है, बच्चों के पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए पिता की अनुमति आवश्यक नहीं है। विदेश यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और पासपोर्ट अधिनियम के तहत पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता नहीं है।

याचिकाकर्ता मॉ ने फार्म सी में इस बात की जानकारी दी है कि पति से तलाक व बच्चों की अभिरक्षा का मामला न्यायालय में लंबित है। एकलपीठ ने आपत्तिकर्ता पिता को यह स्वतंत्रता दी है कि गलत जानकारी देकर बच्चों का पासपोर्ट रिन्यू करवाने के संबंध में वह लंबित प्रकरण में कुटुम्ब न्यायालय के समक्ष पक्ष प्रस्तुत कर सकते है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ उपस्थित हुए।

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