
भोपाल। उज्जैन में प्रस्तावित लैंड पुलिंग योजना और सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण को लेकर किसानों की नाराज़गी अब सीधे राजधानी तक पहुँच गई है। जिसके बाद योजना का खटाई में पड़ना तय है। सूत्रों ने कहा भारी नाराजगी के चलते ही किसानों को लैंड पुलिंग के लिए फाइनल नोटिस नहीं भेजे जा सके हैं। इधर, प्रदेश भाजपा कार्यालय में उस समय दो अलग-अलग दृश्य सामने आए, जब एक ओर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष सरकार और संगठन को लेकर मंत्रियों व नेताओं से बंद कमरे में फीडबैक ले रहे थे, तो दूसरी ओर किसान संघ से जुड़े कार्यकर्ता नारेबाज़ी कर रहे थे।
किसानों का कहना है कि वे किसी भी हालत में लैंड पुलिंग एक्ट 2025 के तहत ज़मीन अधिग्रहण और स्थायी निर्माण को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका आरोप है कि यह योजना खेती की ज़मीन और उनकी रोज़ी-रोटी पर सीधा असर डालेगी।
करीब 50 किसान उज्जैन-जावरा ग्रीनफील्ड हाईवे प्रोजेक्ट और सिंहस्थ क्षेत्र की जमीनों के मुद्दे पर सीधे बीजेपी दफ्तर पहुंचे और बी.एल. संतोष से मिलने की कोशिश की, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। किसानों ने साफ किया कि वे सड़क निर्माण के विरोध में नहीं हैं, लेकिन तकनीकी खामियों और उचित मुआवजे के अभाव पर गंभीर आपत्तियां हैं।
किसान जितेंद्र पाटीदार का कहना है कि एक्सप्रेस-वे को 16 फीट ऊँचाई पर बनाने की योजना खेतों की प्राकृतिक संरचना को बिगाड़ेगी और रोजगार पर असर डालेगी। उनकी मांग है कि सड़क को समतल ज़मीन पर बनाया जाए, ताकि खेती और आजीविका प्रभावित न हो।
सूत्र बताते हैं कि संतोष ने इस मामले को सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का भरोसा दिया है, वहीं भाजपा और संघ के भीतर भी उज्जैन की इस योजना को लेकर गहन चर्चा चल रही है।
