दिल्ली डायरी
प्रवेश कुमार मिश्र
पिछले कुछ दिनों से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चल रहे ऊहापोह अब समाप्त होने जा रहा है. चर्चा है कि लोकसभा के मानसून सत्र के पहले भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा.
जानकार बता रहे हैं कि संघ और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच नए अध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बनने के कारण ही 14 राज्यों के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद इस प्रक्रिया पर विराम लग गया था लेकिन सहमति बनने के बाद पांच और राज्यों के नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा दी गई है. क्योंकि पार्टी संविधान के मुताबिक 19 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही औपचारिक रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव की प्रक्रिया आरंभ होती है. चर्चा है कि 10 जुलाई तक लगभग 21 राज्यों में अध्यक्ष चयन की औपचारिकता पूरी कर ली जाएगी. यानी 10 जुलाई के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ होगी.
बिहार को मिलने लगा केन्द्र का तोहफा
अक्टूबर – नवम्बर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में वैसे तो सभी दलों के रणनीतिकार लगातार बिहार के राजनीतिक समीकरण को साधने के प्रयास में जुटे हैं लेकिन केन्द्र की राजग सरकार जिस तरह से चुनाव के पहले बिहार के लिए रेल सेवा, हवाई अड्डा, विभिन्न स्थानों को जोड़ने वाली सड़क को लेकर घोषणा कर रही है उसे राजनीतिक दलों के लोग चुनावी सौगात बता रहे हैं.
इतना ही नहीं जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले कुछ महीनों में लगातार बिहार का दौरा कर चुनावी माहौल को राजग के पक्ष में करने के प्रयास में लगे हैं वहीं दूसरी ओर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी बिहार की राजनीति में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने के उद्देश्य से लगातार कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं. दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि केंद्र सरकार इन दिनों खास तौर पर बिहार में विकास कार्य पर फोकस करते हुए लगभग सभी मंत्रालयों की ओर त्वरित गति कार्ययोजना को लागू कराने के प्रयास में लगी हुई है. कहा जा रहा है कि प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के लिए केन्द्र द्वारा विकास कार्य बहुस्तरीय योजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है.
राजग व इंडिया गठबंधन में बेचैनी
चुनावी रणनीतिकार व जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के नेतृत्व में जिस तरह से बिहार की राजनीति में जनसुराज आगे बढ़ रहा है उससे दोनों पक्षों के रणनीतिकार बेचैन हो गए हैं. जहां एक तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल प्रमुख दल राजद व कांग्रेस को अल्पसंख्यक वोटबैंक में जनसुराज की ओर से की जा रही सेंधमारी से बेचैनी है वहीं दूसरी ओर भाजपा व जदयू को उनके कोर वोटबैंक के बिखरने की चिंता सता रही है. चर्चा है कि जनसुराज एक विशेष रणनीति के तहत जहां एक तरफ अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को जनसंख्या के हिसाब से उतारने की तैयारी कर रहा है वहीं दूसरी ओर उच्च जातियों,ओबीसी, इबीसी और अनुसूचित जातियों के ताकतवर नेताओं को महत्वाकांक्षी बनाकर उन्हें अपने से जोड़ने का तेज प्रयास किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री बदलने की लड़ाई दिल्ली पहुंची
2023 में सरकार बनने के बाद से ही कर्नाटक कांग्रेस में आरंभ हुई खेमेबाजी अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बदलने तक पहुंच गई है. प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने चुनावी फतह के बाद ही पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व पर मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए दबाव बनाया था लेकिन पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकारों के सुलह प्रस्ताव के बाद शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद से संतुष्ट हुए थे. लेकिन लगभग ढाई साल के बाद मुख्यमंत्री बदलने का अभियान आरंभ हो गया है. शिवकुमार गुट का दावा है कि ढाई ढाई साल के फार्मूले के तहत ही सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी गई थी. इसलिए मुख्यमंत्री परिवर्तन जरूरी है. चर्चा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोधी गुट को शांत करने के लिए आश्वस्त किया है कि पार्टी जल्द इस विषय पर फैसला करेगी. इसके बाद से दिल्ली में दोनों गुटों की ओर से लाबिंग तेज कर दी गई है.