नयी दिल्ली (वार्ता) राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के निदेशक अभय बाकरे ने गुरूवार को कहा कि 2030 तक सरकार का लक्ष्य एक हज़ार से अधिक हाइड्रोजन-संचालित ट्रकों के संचालन का है, जिसमें परिवहन क्षेत्र हरित हाइड्रोजन की मांग पैदा करने वाला पहला क्षेत्र होगा और इससे तीन वर्षों के भीतर डीजल के साथ 25से 30 प्रतिशत लागत अंतर को कम करने में मदद मिलेगी।
श्री बाकरे ने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर ‘मोबिलिटी में क्रांति लाना: ऑटोमोटिव उद्योग को स्वच्छ और सर्कुलर भविष्य की ओर ले जाना’ विषय पर आयोजित 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि परिपक्व प्रौद्योगिकी और मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ, 7-8 साल पहले अपनी शुरुआत के बाद से भारत में ईवी ने तेजी से विस्तार किया है। 2035 तक सियाम के पेशेवर मार्गदर्शन और आईएम की प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर सड़कों पर हाइड्रोजन वाहनों की एक महत्वपूर्ण संख्या की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि विकेन्द्रीकृत पहुँच को सक्षम करने के लिए 10 स्वीकृत हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले गलियारों के साथ हरित हाइड्रोजन अवसंरचना विकसित हो रही है। 2030 तक, हमारा लक्ष्य एक हज़ार से अधिक हाइड्रोजन-संचालित ट्रकों का है, जिसमें परिवहन क्षेत्र हरित हाइड्रोजन की मांग पैदा करने वाला पहला क्षेत्र होगा, जो तीन वर्षों के भीतर डीजल के साथ 25 से30 प्रतिशत लागत अंतर को कम करेगा।
भारी उद्योग मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. हनीफ कुरैशी ने कहा, “ भारत में पहले से ही 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण हासिल किया गया है और 11 से अधिक कंपनियां फ्लेक्स-फ्यूल इंजन विकसित कर रही हैं। स्वच्छ तकनीकें भविष्य हैं, और हरित अर्थव्यवस्था के साथ-साथ, हम विनिर्माण के स्वदेशीकरण को प्राथमिकता दे रहे हैं। हाइड्रोजन को अपनाने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है और पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए डीजल ट्रकों को स्क्रैप करने और स्थानीय रूप से निर्मित घटकों को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ आवंटित करने के साथ एक इलेक्ट्रिक ट्रक कार्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, भारत 14,000 इलेक्ट्रिक बसें चला रहा है, जो अपनी तरह का सबसे बड़ा टेंडर है, साथ ही हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस के लिए पहल भी कर रहा है।
सियाम के अध्यक्ष और टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड एवं टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, “सर्कुलर इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए, हमें तीन प्रमुख हस्तक्षेपों की आवश्यकता है- पहला, ओईएम को हल्के वजन वाली तकनीक और कुशल वाहन जीवनचक्र प्रबंधन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत नीतिगत ढांचा; दूसरा, 125 स्वीकृत स्क्रैपिंग सुविधाओं की मदद से, जिनमें से 65 चालू हैं, जीवन-अंत वाहनों को स्क्रैप करने को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन या हतोत्साहन तंत्र; और तीसरा, प्रभावी ईओएल, वाहन संग्रह केंद्र स्थापित करने के लिए संयुक्त उद्योग-सरकारी अभियानों के माध्यम से रीसाइक्लिंग बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।”
इस सम्मेलन में सरकार, उद्योग जगत, थिंक टैंक और इंजीनियरिंग के लोगों ने भाग लिया और पर्यावरण के प्रति जागरूक मोबिलिटी सिस्टम, सर्कुलरिटी, बदलाव में तेजी लाने और जिम्मेदार कार्रवाई को सशक्त बनाने पर विचार-विमर्श किया।
