० रेत संविदाकार सहकार ग्लोबल लिमिटेड द्वारा माइनिंग कारपोरेशन से सांठ-गांठ कर मामले को न्यायालय में उलझाकर निविदा के महीनों बाद भी नही कराया गया अनुबंध
सीधी 16 फरवरी। सीधी जिले की रेत खदानों की नीलामी के महीनों बाद भी संविदाकार सहकार ग्लोबल लिमिटेड द्वारा माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड से सांठ-गांठ कर मामले को न्यायालय में उलझाकर अनुबंध नही करा खेले जा रहे रेत के खेल में सरकार के मेल को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
यहां बताते चलें कि सिंगरौली-शहडोल के रेत संविदाकार सहकार ग्लोबल लिमिटेड रेत करोबार में पूरे क्षेत्र में अपना कब्जा कायम कर मनमाने दर पर रेत का खेल खेलने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत सीधी जिले की खदानों की नीलामी में भाग लिया गया और अन्य बोलीदारों के अनुमान से अधिक उच्चतम बोली बोल कर सीधी जिले की रेत खदानों को अपने नाम कर लिया। लेकिन नीलामी के बाद निविदा शर्तों के अनुसार निर्धारित तिथि में निविदा राशि जमा करने का समय आया तो सहकार ग्लोबल लिमिटेड का शुरु हुआ खेल अभी तक जारी है। उल्लेखनीय है कि मप्र रेत (खनन, परिवहन, भंडारण एवं व्यापार) नियम 2019 के अनुसरण में रेत समूह सीधी से रेत खनन एवं विक्रय हेतु माइन डेव्हलपर कम आपरेटर के चयन बावत निगम द्वारा ई-निविदा सह नीलामी की सूचना दिनांक 21 अगस्त 2024 को प्रकाशित की गई। निविदा प्रस्तुत किये जाने की अंतिम तिथि 10 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई थी। रेत खदानों के समूह सीधी की कुल 18 रेत खदानों के लिये रेत खनिज की मात्रा 16 लाख घन मीटर एवं प्रारंभिक आधार मूल्य अपसेट प्राइज 40 करोड़ निर्धारित की गई थी। जिस पर ई-निविदा सह नीलामी प्रक्रिया द्वारा सहकार ग्लोबर लिमिटेड को उनके द्वारा प्रस्तुत वित्तीय प्रस्ताव 83 करोड़ 83 लाख 50 हजार 555 के लिये सफल प्रतिभागी घोषित किया गया था। टेण्डर पाने के बाद सहकार ग्लोबल लिमिटेड ने 10 करोड़ की ईएमडी जमा की गई थी। वहीं निविदा की राशि में से 25 प्रतिशत 20 करोड़ 95 लाख 87 हजार 639 एवं प्रथम माह की किश्त 7 दिवस में निगम के संधारित खाते में जमा किया जाना था। यह समूची राशि 29 करोड़ 34 लाख 22 हजार 695 पत्र जारी दिनांक से 7 कार्य दिवस के भीतर अर्थात 4 नवम्बर 2024 तक निगम के बैंक खाते में जमा करना था।
निर्धारित राशि जमा करने की बजाय सहकार ग्लोबल द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई। याचिका में कहा गया कि टेण्डर में उल्लेखित जानकारी के अनुसार खदानों में रेत की मात्रा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उसे कई तरह से रियायत प्रदान की जाय। हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में जिला खनिज अधिकारी सीधी से प्रतिवेदन तलब किया गया, जिसमें खनिज अधिकारी ने कहा है कि टेण्डर में उल्लेखित जानकारी के अनुसार रेत की मात्रा खदानों में उपलब्ध है। इधर सीधी जिले की रेत खदानों के संचालन नही होने को लेकर दायर जनहित याचिका के बाद रेत संविदाकार सहकार ग्लोबल लिमिटेड ने निविदा अनुसार शुरुआती राशि तो जमा कर दी लेकिन अभी तक अनुबंध नही किया गया फिर भी उच्च न्यायालय में माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा इस मामले में जान-बूझकर अपना पक्ष निविदा शर्तों के अनुसार क्यों नही रख रहा है। इससे यह सहज ही प्रतीत होता है कि सहकार ग्लोबल के साथ सरकार का मेल है। हालांकि इस मामले को लेकर जिले जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन-प्रशासन से चर्चा करने की बात कही जा रही है। अब देखना है कि जिले जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप का सरकार में कितना असर पड़ता है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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सीधी की रेत खदाने नहीं चलाने की रची गई है साजिश
सीधी जिले की 18 रेत खदानों का ठेका सहकार ग्लोबल को मिला है। इसके अलावा विंध्य क्षेत्र के अन्य जिलों में भी सहकार ग्लोबल का रेत ठेका है। जानकारों का कहना है कि संविदाकार साजिश के तहत सीधी जिले की रेत खदानों को संचालित नहीं कर रहा है। उसके द्वारा सीधी जिले के सीमावर्ती अन्य जिलों की रेत खदानों से रेत का परिवहन किया जा रहा है। रेत से लोड वाहन सीधी जिले से गुजरते हैं। यह दीगर बात है कि सीधी जिले में जो रेत पहुंच रही है उसमें टीपी अन्य जिले की रेत खदान का है। सीधी जिले के दक्षिणी क्षेत्र में कुछ खदान के मनमानी तौर पर संचालन की खबरें भी सामने आ रहीं हैं।
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रेत खदानों में एकछत्र राज कर मनमाने दर पर बेंच रहे रेत
विंध्य क्षेत्र की सभी रेत खदानों में एकछत्र सहकार ग्लोबल का राज है। इसी के चलते सीधी जिले की रेत खदानों को संचालित करने की बजाय दूसरी खदानों की रेत मनमानी दर लोगों खरीदने के लिए मजबूर कर फायदा उठाया जा रहा है। सहकार ग्लोबल की मनमानी के चलते अन्य संविदाकार को रेत खदान का ठेका इसलिये नहीं मिला क्योंकि सुनियोजित कार्ययोजना के तहत सहकार ग्लोबल द्वारा सीधी जिले में पहली बार सबसे ज्यादा बोली लगाई गई। यह बोली 83 करोड़ 83 लाख 55 हजार 555 रूपये की थी। सभी संविदाकारों को सीधी से बोली में हटाने के बाद अब सहकार ग्लोबल सीधी जिले की खदानों को संचालित करने की बजाय पेंच फंसाये जा रहे हैं।
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शासन को हो चुका है करोड़ो के राजस्व का नुकसान
सहकार ग्लोबल द्वारा ठेका लेने के बाद भी जिले की 18 रेत खदानों का संचालन महीनों बाद भी नहीं किया जा रहा है। रेत खदानों का संचालन न होने से शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। सहकार ग्लोबल की मनमानी के चलते शासन को हर महीने करोड़ों के राजस्व की चपत लग रही है। सहकार ग्लोबल की मंशा है कि उसके द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगाकर इसको लंबा खींचा जाए तथा वास्तविकता से परे बहानेबाजी कर हाईकोर्ट के माध्यम से राहत पाई जायए जिससे उसे राजस्व की भरपाई शासन को न करनी पड़े।
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इनका कहना है
निविदा के कई महीनों बाद भी जिले में अभी तक संविदाकार द्वारा अनुबंध क्यों नही कराया गया। इस विषय को लेकर कलेक्टर सीधी एवं माइनिंग कारपोरेशन के उच्च अधिकारियों से चर्चा कर यह सुनिश्चित किया जायेगा कि नीलामी में जिस संविदाकार को रेत खदानों के संचालन की जिम्मेदारी मिली वो अनुबंध करायें या फिर माननीय न्यायालय में माइनिंग कारपोरेशन तकनीकी आधार पर सरकार का पक्ष रखकर उक्त निविदा को निरस्त कर पुन: निविदा कराई जाये। जिससे शासन को हो रहे राजस्व के नुकसान की पूर्ति के साथ सीधी जिलेवासियों को महंगे की जगह उचित दर पर रेत उपलब्ध हो सके।
डॉ.राजेश मिश्रा, सांसद सीधी
नवभारत के माध्यम से जिले में चल रहे रेत के खेल का जो मामला संज्ञान में लाया गया है। उसके अनुसार शासन को राजस्व का नुकसान के साथ-साथ सीधी जिले के क्षेत्रवासियों को सिंगरौली-शहडोल से महंगे दर पर रेत खरीदने की मजबूरी बनने के साथ ही विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। इस मामले के तकनीकी बिन्दुओं के साथ प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से चर्चा की जायेगी कि रेत संविदाकार द्वारा जल्द से जल्द अनुबंध करा जिले में रेत खदानों का संचालन शुरु करें या फिर माइनिंग कारपोरेशन उक्त निविदा निरस्त कर जल्द पुन: निविदा करायें। जिससे इस मामले का निराकरण हो और शासन को होने वाले राजस्व के नुकसान से बचा सके एवं क्षेत्रवासियों को सस्ते दर पर रेत मुहैया हो सके।
श्रीमती रीती पाठक, विधायक सीधी
मेरी जानकारी के अनुसार सीधी जिले के रेत खदानों का मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। जिले में रेत खदानों के संचालन नही होने से यह जरूर है कि जिलेवासियों को महंगे दर पर रेत खरीदने की मजबूरी बनी हुई है। इस मामले को लेकर कलेक्टर सीधी एवं माइनिंग कारपोरेशन के अधिकारियों से चर्चा की जायेगी। अधिकारियों से चर्चा उपरांत ही इस मामले में स्पष्ट स्थिति के बारे कुछ बताया जा सकता है।
विश्वामित्र पाठक, विधायक सिहावल
नवभारत द्वारा जो मामला संज्ञान में लाया गया है। उससे शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होने के साथ दूसरे जिलों से मंहगे दर पर रेत मिलने के निर्माण कार्यों में भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। निविदा के बाद भी अभी तक संविदाकार द्वारा अनुबंध क्यों नही कराया जा रहा है यदि निर्धारित समय में संविदाकार द्वारा अनुबंध नही कराया गया है तो कलेक्टर सीधी एवं माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा निविदा की शर्तों और नियमानुसार निविदा निरस्त कर पुन: निविदा कराई जाये। इस मामले को लेकर कलेक्टर सीधी के एवं माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड के उच्च अधिकारियों बात कर मुख्यमंत्री जी का भी इस ओर ध्यान आकृष्ट कराऊंगा।
कुंवर सिंह टेकाम, विधायक धौहनी
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