मेट्रों बसें खड़े खड़े हुईं खटारा

धूप, पानी में हो गई कबाड़

जबलपुर: सिटी परिवहन की लाइफ लाइन कही जाने वाली मेट्रो बसें मेंटेनेंस के अभाव और संचालकों की मनमानी के चलते  खटारा हो चुकी हैं। यह  बसें तीन पत्ती स्थित पुराने डिपो में  खड़ी सड़ रही हैं। बसों की धुलाई के लिए लाखों रुपए खर्च कर  अत्याधुनिक मशीनें तो लगा दी गईं, लेकिन साफ-सफाई नहीं की गई। जब यह बसे चलायमान थी तब न तो स्टॉपेज पर पहुंचने का टाइमिंग निर्धारित था  और न ही छूटने का । शहर में 15 से ज्यादा  रूट पर बसों का संचालन होता था मगर शहरवासी भी अक्सर गफलत में गलत रूट की बस में सवार हो जाते थे। जेसीटीएसएल संचालन बोर्ड में महापौर से लेकर कलेक्टर तक डायरेक्टर है, फिर भी सिटी परिवहन की लाइफ लाइन अंतिम सासें ले रही हैं। परिवहन विभाग के नियमानुसार एक वाहन की औसत उम्र 15 साल मानी जाती है। लेकिन सूत्रों की माने तो शहर में पुरानी मॉडल की 32 बसे अभी डिपो में खड़ी सड़ रही है। इनका संचालन  2010 में शुरू हुआ था। और महज आठ से दस साल के बीच में ही  इन बसों के इंजन सीज हो चुके थे । वहीं 25 बड़ी और 69 छोटी बसों की खरीदी 2013 में हुई थी। इसमें से कई  बसों के लिए आज तक रूट ही निर्धारित नहीं हो पाया था ।
खड़े खड़े हुई बेकार
तीन पत्ती स्थित नगर निगम के  बस डिपो में खड़ी शहर की लाइफ लाइन अब कबाड़ में तब्दील हो चुकी  है। बोर्ड के जानकारों की माने तो मदन महल से दमोहनाका के बीच बन रहे फ़्लाइओवर के कारण इन बसो की सेवा स्थगित कर दी गई है । सुनने में भले ही अटपटा लगे पर जिम्मेदार यह बोल के अपना पल्ला झाड़ रहे है। इतना ही नहीं शहर में निगम की तरफ से बस स्टॉपेज तो बना दिए गए, लेकिन एक में भी मेट्रो बसों की टाइमिंग, रूट आदि की जानकारी नहीं दर्शायी जाती है ।शहरवासी रोज अलग-अलग रूट की बसों में गफलत में पड़ जाते हैं। सबसे अधिक मुश्किल बाहर से आने वालों को होती है। एक ही रूट पर अलग-अलग ऑपरेटरों की बसों में टाइमिंग न होने से सवारी के लिए रेस लगती है। जिसके चलते कई बार हादसे भी हो चुके हैं।
होना चाहिए सदुपयोग
बेकार खड़ी मेट्रो बसों का नगर निगम द्वारा सदुपयोग करना चाहिए । या तो इन बसो को चेजिंग रूम में तब्दील कर देना चाहिए या फिर  इन बसो को लाइब्रेरी भी बनाया जा सकता है । जिससे शहर की जनता इनका  उपयोग कर सकेगी ।बोर्ड द्वारा इन बसो के  स्टॉपेज निर्धारित है, लेकिन जेसीटीएसएल अधिकारियों की निगरानी न होने से ये ऑटो की तर्ज पर कहीं भी रुक कर सवारी उतारती व बिठाती हैं। निगम सीमा का विस्तार होने को पांच साल से भी ज़्यादा हो चुके है , लेकिन अब तक रूट का नए सिरे से निर्धारण नहीं किया गया।
इनका कहना है  
इन बंद बसों को फिर से आम जानता के  लिए चालू करना चाहिए और नहीं तो इनका ऐसा उपयोग करना चाहिए जिससे शहर की जनता  को इसका लाभ मिल सके जल्द ही इस पर एक्शन लेना चाहिए।
बबलू यादव , शहरवासी

दमोह नाका से मदन महल के  बीच बन रहे फ्लाइओवर के चलते इन बसों को बंद किया  गया  था। जल्द ही इनको फिर से चालू किया जाएगा और जो भी इसमें चेंजेस होंगे वह भी चेंज करके इनको नया स्वरूप दिया जाएगा।
सचिन विश्वकर्मा, सीईओ , जेसीटीएसएल

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