मोदी की नीति के तहत संस्कृति-पर्यटन क्षेत्र को किया जा रहा है दिव्यांगजनों के अनुरूप विकसित : शेखावत

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (वार्ता) केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समावेशी पर्यटन को देश के लिए अनिवार्य बताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति के तहत संस्कृति और पर्यटन क्षेत्र को दिव्यांगजनों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है।

श्री शेखावत ने सोमवार को हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड की ओर से भारत मंडपम में आयोजित ‘समर्थ इंडिया कॉन्क्लेव और एक्सपो 2025’में यह बात कही। यह कॉन्क्लेव प्रौद्योगिकी, सुगम्यता और नवाचार के माध्यम से दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित था। इस दौरान श्री शेखावत ने कहा, “श्री मोदी की नीति के तहत संस्कृति और पर्यटन क्षेत्र को दिव्यांगजनों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री को दिव्यांगजनों में विकसित भारत का सपना साकार करने वालों की शक्ति दिखाई देती है। वे उन्हें प्रेरक परिश्रमी तो मानते ही हैं, सफल उद्यमी बनते भी देखना चाहते हैं और जिसके लिए तकनीकी को प्राथमिकता दी जा रही है।”

उन्होंने कहा, ” इस क्षेत्र में भारत अभी खुद को पूरी तरह समावेशी नहीं हो सका है, लेकिन हम एक परिवर्तनकारी पथ पर अग्रसर हैं। आज दुनिया भर में, सुगम्य पर्यटन न केवल अधिकारों के लिए, बल्कि आर्थिक मजबूती के लिए भी एक शक्तिशाली आंदोलन के रूप में उभर रहा है। भारत जैसे राष्ट्र के लिए समावेशी पर्यटन कोई विशिष्ट अवधारणा नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है।”

उन्होंने कहा, हम कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) संचालित यात्रा मार्गदर्शन, स्क्रीन-रीडर अनुकूल प्लेटफ़ॉर्म, सहज ज्ञान युक्त लेआउट, सरलीकृत यात्रा जानकारी और ध्वनि-सहायता प्राप्त नेविगेशन का उपयोग करके भारत के पर्यटन पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव ला रहे हैं। डिजिटल इंडिया के युग में डिजिटल सुगम्यता ही भौतिक सुगम्यता को परिभाषित करेगी।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारे स्मारक, संग्रहालय और सांस्कृतिक स्थल भारत की सभ्यता यात्रा की कहानी समेटे हुए हैं, लेकिन अगर हर कोई उस तक पहुँच नहीं पाता, तो उस कहानी का कोई मतलब नहीं है। संस्कृति मंत्रालय स्पर्शनीय प्रदर्शनियों, सांकेतिक भाषा पर्यटन, श्रव्य-वर्णन विरासत भ्रमण, संवेदी-समावेशी कार्यक्रमों, सुलभ संग्रहालय अवसंरचना आदि पर ज़ोर दे रहा है।”

उन्होंने कहा कि भारत के पर्यटन और संस्कृति क्षेत्र विशेष योग्यता वाले व्यक्तियों के लिए न केवल प्रतिभागियों के रूप में, बल्कि नेतृत्वकर्ताओं के रूप में भी अपार अवसर प्रदान करते हैं। इस क्षेत्र में विरासत प्रबंधक, गाइड, एयरलाइन दुभाषिए, सांस्कृतिक राजदूत, डिजिटल क्यूरेटर, कहानीकार और संग्रहालय पेशेवरों के लिए अवसर हैं। ।

उन्होंने कहा, ” जैसे-जैसे हम विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ रहे हैं, विकास की हमारी परिभाषा में सुलभ बुनियादी ढाँचा,सुलभ शिक्षा,सुलभ गतिशीलता, सुलभ संस्कृति, सुलभ पर्यटन,और सबसे बढ़कर एक सुलभ मानसिकता शामिल होनी चाहिए।

श्री शेखावत ने कहा कि असली चुनौती बुनियादी ढाँचा नहीं है, बल्कि दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम 2016 दुनिया के सबसे मज़बूत कानूनी संरक्षणों में से एक है, जो सम्मान, समान अधिकार और भेदभाव से सुरक्षा सुनिश्चित करता है। श्री शेखावत ने कहा “यह हमें सहानुभूति से अधिकारों की ओर और जागरूकता से जवाबदेही की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

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