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भोपाल।कोहेफिजा पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट हुए एक परिवार को साइबर फ्रॉड से समय रहते बचाया. रविवार को मामले की जानकारी मिलने पर थाना प्रभारी आई.के.जी. शुक्ला मौके पर पहुंचे और पीड़ित को बचाया. पुलिस ने इस दौरान अज्ञात नंबर पर कॉल किया लेकिन कॉल रिसीव नहीं किया गया. पुलिस मामले में गहरी जांच कर रही है.
थाना प्रभारी शुक्ला ने बताया कि पीड़ित व्यक्ति शमसुल हसन पेशे से अधिवक्ता है. हसन अपने परिवारी के साथ हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहते हैं. रविवार को साइबर जालसाजों ने लगभग तीन घंटे तक उन्हें और उनके परिवार को डिजिटल अरेस्ट की स्थिति में रखा. मामला संज्ञान में आने पर पुलिस ने परिवार को तत्काल सुरक्षा प्रदान की और 4 घंटे के भीतर स्थिति को नियंत्रण में ले लिया, जिससे बड़ा साइबर फ्रॉड होने से पहले ही रुक गया.
शुक्ला ने बताया कि पीडित के पास पुणे एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड) का नाम लेते हुए एक फोन आया, जिसमें उन्हें पहलगाम मामले में दोषी बताकर उनके परिवार को डराया गया. इस दौरान पीड़ित को आरोपियों ने डिजटली अरेस्ट कर रखा. पीड़ित परिवार के साथ ठगी की घटना होती. इससे पहले ही उन्हें सुरक्षित कर लिया गया.
टीआई ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट एक आम साइबर फ्रॉड तकनीक है,जहाँ धोखेबाज किसी भी व्यक्ति को वीडियो कॉल पर या लगातार कॉल करके एक जगह पर रुकने और किसी से बात न करने के लिए मजबूर करते हैं, ताकि वे डर के मारे पैसे ट्रांसफर कर दें.
