
भोपाल। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के दूसरे दिन लाल परेड ग्राउंड पर प्रस्तुत सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य ने राजधानी के दर्शकों को अद्भुत ऐतिहासिक यात्रा का अनुभव कराया। उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति द्वारा मंचित इस महानाट्य का निर्देशन संजीव मालवीय ने किया।
इस भव्य प्रस्तुति में तीन अलग-अलग मंचों पर अत्याधुनिक ग्राफिक्स, आश्रम, जंगल, महाकाल मंदिर के प्रतिरूप और वास्तविक अश्व-दल, ऊंट, हाथी, पालकी व बग्घी के प्रयोग ने मंच को जीवंत बना दिया। लगभग 150 कलाकारों की संयुक्त प्रस्तुति ने सम्राट विक्रमादित्य के युग को साकार कर दिया। दर्शकों ने राज्यारोहण, युद्ध और शासन के दृश्य देखकर उस युग की गौरवशाली गाथा को महसूस किया।
महानाट्य में विक्रमादित्य के जन्म से लेकर सम्राट बनने तक की गाथाओं को अद्भुत नाट्य रूपांतरण में प्रस्तुत किया गया। नाटक ने दिखाया कि कैसे विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर भारत को पराधीनता से मुक्त कराया और विक्रम संवत की स्थापना की। उनकी नवरत्न परिषद कालिदास, वराहमिहिर, धन्वंतरि, अमरसिंह जैसे विद्वानों का चित्रण भी प्रभावशाली रहा।
यह नाट्य केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि इतिहास की उन गौरवपूर्ण स्मृतियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास था, जहाँ न्याय, शौर्य और सुशासन का आदर्श स्थापित हुआ था। मंच पर संवाद, परिधान, संगीत और सेट डिजाइन की समरसता ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और सम्राट विक्रमादित्य के रूप में भारतीय गौरव की एक प्रेरक कथा जीवंत हो उठी।
