
जबलपुर। राजनीतिक दृष्टिकोण से जातिगत जनगणना उचित नहीं है, क्योंकि देश में कुछ जातियां पीछे रह गई हैं और सिर्फ पिछड़ों के भले के लिए ही आंकड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है। यदि राजनीति के लिए इसका इस्तेमाल होगा, तो इससे विभेद बढ़ेगा। यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कही।
वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के बारे में शनिवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बंगाल को ऐसे रखने के लिए देश के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप संस्कृति के लिए ठीक नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि हर गलती कानून से नहीं रुकेगी, इसके लिए समाज को संस्कार देकर पहले विकृति को रोकना होगा।
तो जाएं चुनाव आयोग
एसआईआर को लेकर उन्होंने कहा कि मतदाता सूची जरूरी है और इस प्रक्रिया पर जिन्हें शक है उन्हें चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए। संघ की जबलपुर बैठक में देशभर से वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए हैं, जहां संगठन के आगामी कार्यक्रमों और सामाजिक अभियानों को लेकर चर्चा की जा रही है।
नेताओं को सीख लेनी चाहिए
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बैन लगाने की बात कहे जाने के बाद शनिवार को संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले भी संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर चुकी है, अब चाहे तो चौथी बार भी कोशिश कर ले।
जबलपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के दौरान होसबोले ने कहा कि जो संगठन भारत के समाज और राष्ट्रनिर्माण में जुटा है, उस पर प्रतिबंध लगाने की बात कहने वाले नेताओं को पहले के अनुभव से सीख लेनी चाहिए। कांग्रेस ने पहले भी तीन बार संघ पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। अब वे चाहें तो फिर प्रयास करके देख लें, लेकिन पहले बताएं कि आखिर संघ पर बैन लगाने की जरूरत क्यों है..?
उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस को समाज ने स्वीकार किया है और पहले लगाए गए प्रतिबंधों को भी अदालत ने गलत ठहराया था। पूर्व प्रतिबंधों पर तब न्यायालय ने क्या कहा था और कांग्रेस को उससे क्या मिला? संघ लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल किया कि जब आरएसएस देश की सुरक्षा, संस्कृति और विकास के लिए काम कर रहा है, तो ऐसे संगठन पर बैन लगाने की बात कहना किस आधार पर उचित है।
धर्मांतरण रोकना- घर वापसी जरूरी
उन्होंने कहा कि देश में बढ़ते धर्मांतरण पर भी संघ ने इस कार्यकारी बैठक में चर्चा की है। धर्मांतरण रोकना और घर वापसी कराना जरूरी हो गया है। देशभर में धर्म जागरण को लेकर संघ कार्य भी कर रहा है। जनजातीय क्षेत्रों में विशेष प्रयास किया जा रहे हैं कि धर्मांतरण रोकने के साथ-साथ धर्म जागृति भी कैसे फैलाई जाए। धर्म गुरुओं से यह कार्य होंगे और घर वापसी के साथ धर्म जागरण का कार्य भी लगातार किया जा रहा है। पंजाब में धर्मांतरण की एक बड़ी समस्या है और वहां पर साजिश के तहत ही धर्मांतरण किया जा रहा है।
संघ में भाजपा कार्यकर्ता ज्यादा, पर हम सभी के
होसबोले ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सभी पार्टियों का है, यह सच है कि हमारे संघ में भाजपा के कार्यकर्ता ज्यादा हैं। सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन हम अपने विचार सभी के समक्ष रखते हैं। आज सरकार में संघ के स्वयं सेवक बैठे हैं, इसलिए हमारे और भाजपा के बीच समन्वय बना हुआ है। आरएसएस का दरवाजा सभी के लिए खुला है।
शताब्दी वर्ष में हुए 62,555 कार्यक्रम
संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर देशभर में कुल 62,555 कार्यक्रम संपन्न हुए, जिसमें 32.45 लाख स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित रहे और 25,000 स्थानों पर पथ संचलन हुआ, जिसमें 25.45 लाख स्वयंसेवकों ने सहभागिता की। ग्रामीण क्षेत्रों के 59,343 मंडलों और नगरीय क्षेत्रों के 44,686 बस्तियों में व्यापक प्रतिनिधित्व रहा। इस अवसर पर तीन प्रमुख वक्तव्य जारी किए गए: सिक्ख गुरु तेगबहादुर जी की 350वीं शहादत, जनजातीय नायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, और वंदेमातरम् के 150 वर्ष। साथ ही युवाओं में नशे की बढ़ती समस्या और सामाजिक सुधार की दिशा में जागरूकता पर भी जोर दिया गया।
मणिपुर में आएंगे जल्द ही अच्छे दिन
झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों में सकारात्मक बदलाव दिख रहा है, जहां नक्सली शस्त्र त्यागकर समाज की मुख्य धारा में लौट रहे हैं। मणिपुर में भी विश्वास निर्माण के प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही वहां अच्छे दिन आने की उम्मीद है। बैठक में युवाओं में नशे की समस्या पर चिंता व्यक्त की गई, क्योंकि नशे के कारण युवा पीछे रह रहे हैं। स्कूल और महाविद्यालयों में ड्रग्स की बिक्री को रोकने के लिए परिवार, समाज, धार्मिक संस्थाओं और सरकार की सक्रिय भूमिका आवश्यक बताई गई।
