
चेन्नई। वीआईटी विश्वविद्यालय, चेन्नई में शुक्रवार को टेक्नोVIT’25 का 10वां सालाना संस्करण भव्य रूप से आरंभ हुआ। यह एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी महोत्सव है, जिसमें भारत सहित थाईलैंड, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, म्यांमार, ताइवान और उज़्बेकिस्तान जैसे 10 देशों के 10,000 से अधिक छात्र तीन दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे रॉयल थाई कॉन्सुलेट-जनरल चेन्नई के कॉन्सल-जनरल रचा अरिबर्ग, जिन्होंने उद्घाटन भाषण दिया। एचसीएलटेक के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट प्रिंस जयकुमार डी विशेष अतिथि रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वीआईटी के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. जी.वी. सेल्वम ने की।
अपने संबोधन में अरिबर्ग ने कहा कि इंजीनियरिंग और विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत युवाओं को तकनीक का उपयोग समाज और बुजुर्गों की सहायता तथा संगठित अपराध से मुकाबले में करना चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने बुजुर्गों के साथ संवाद बढ़ाएं, ताकि डिजिटल युग में वे पीछे न रह जाएं और तकनीक का बेहतर उपयोग कर सकें।
डॉ. जी.वी. सेल्वम ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों में बदलाव के कारण वहां उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 44 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे स्टडी इन इंडिया, मेक इन इंडिया की सोच को बल मिला है। उन्होंने कहा कि टेक्नो VIT 25 इस धारणा को गलत साबित करता है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली केवल सैद्धांतिक है—यहां छात्रों ने अपने सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक नवाचारों में बदला है।
उन्होंने कहा,कोविड-19 के दौरान हमने बिना आयात पर निर्भर हुए स्वयं सब कुछ संभाला। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। डॉ. सेल्वम ने बताया कि वीआईटी चेन्नई का उद्देश्य छात्रों को इस दिशा में प्रेरित करना है कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समाजहितकारी उत्पादों के निर्माण में करें।
