खंडवा : खंडवा के बड़े कब्रिस्तान से एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है… जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। आरोपी अय्यूब खान… जिसे लोग ‘कबरबिज्जू’ कहने लगे हैं… जब पुलिस उसे री-क्रिएट सीन के लिए कब्रिस्तान लाई… तो भीड़ का गुस्सा फूट पड़ा। सैकड़ों लोग वहां जमा हो गए… और उन्होंने आरोपी को पुलिस से छीनकर मौत के घाट उतारने की कोशिश की।”
“जैसे ही लोगों ने अय्यूब को देखा… नारों की गूंज उठी— ‘सजा हमें देने दो… फांसी दो… फांसी दो!’ भीड़ ने पुलिस को घेर लिया, आरोपी को खींचने की कोशिश हुई, झूमाझटकी तक की नौबत आ गई। लोग कहते रहे कि उनके अपनों की कब्रों के साथ दरिंदगी करने वाले इस नरपिशाच को किसी कोर्ट-कचहरी में नहीं, यहीं कब्रिस्तान में सज़ा दी जानी चाहिए।”
“लोगों का गुस्सा वाजिब भी था… क्योंकि आरोपी अय्यूब पर ऐसे-ऐसे संगीन इल्जाम हैं, जिनसे इंसानियत भी शर्मसार हो जाए। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि वह तीन अलग-अलग मौकों पर महिलाओं की ताज़ा कब्रों में नग्न होकर उतरा… और तंत्र-मंत्र की घिनौनी क्रियाएं कीं। यही नहीं… अय्यूब अपनी दो पत्नियों की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा भुगत रहा था… और पिछले 15 साल से जेल की सलाखों में बंद था।”
“गुरुवार शाम जब पुलिस आरोपी को मौका-ए-मुआयना कराने कब्रिस्तान लाई… तो वहां मौजूद मुस्लिम समाज के लोग भड़क उठे। उन्होंने आरोपी को अपने हवाले करने की मांग की… और कहा कि जो गुनाह उसने किया है, उसकी सज़ा सिर्फ वही लोग देंगे जिनकी कब्रों का उसने अपमान किया है।”
“हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को आरोपी को बचाना मुश्किल हो गया। भीड़ हर तरफ से उसे घेर चुकी थी। गुस्साई आवाजें गूंज रही थीं— ‘ऐसे जघन्य आरोपी को फांसी दो… फांसी दो… फास्ट-ट्रैक कोर्ट से फांसी दो।’ आखिरकार पुलिस किसी तरह आरोपी को भीड़ से छुड़ाकर थाने ले गई।”
“लेकिन सवाल अब भी वहीं है… क्या ऐसे नरपिशाचों के लिए सिर्फ जेल की सज़ा काफी है? या फिर समाज का ये गुस्सा बताता है कि इंसाफ कहीं तेज़ और कड़ा होना चाहिए? आपकी राय क्या है… क्या अय्यूब जैसे दरिंदों को भीड़ के हवाले कर देना चाहिए… या कानून को ही फैसला करना चाहिए?
