
ग्वालियर। मुंबई 26/11 आतंकी हमले के दौरान सैंकड़ों यात्रियों के रक्षक बने एसीटीआई सुशील शर्मा को 17 सालों तक चले लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब शहीद का दर्जा मिलेगा. सुशील शर्मा को शहीद का दर्जा देने से इनकार करने के बाद परिवार ने संघर्ष किया और अब 17 सालों बाद अब उन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा जाएगा.
मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर तैनात एसीटीआई सुशील शर्मा मुंबई 26/11 आतंकी हमले के दौरान रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी कर रहे थे. उधर आंतकी गोली चला रहे थे, लेकिन अपनी जान परवाह न करते हुए यात्रियों को बचाने में जुटे सुशील खुद आंतकियों की गोली के शिकार हो गए थे. गौरतलब है मुंबई 26/11 आतंकी हमले के दौरान एसीटीआई सुशील शर्मा छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर तैनात थे. उन्होंने आंतकी हमलों के बीच स्टेशन पर अनेक यात्रियों की जान बचाते-बचाते इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. सुशील शर्मा उस दिन आतंकी की गोली का निशाना बन गए थे. आंतकियों के बंदूक से निकली से उनकी जान चली गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई आतंकी हमले में यात्रियों की जान बचाते-बचाते आंतकियों की गोली के शिकार हुए सुशील शर्मा को तब सरकार ने शहादत मानने से इंकार कर दिया. सुशील शर्मा के वीरतापूर्ण कार्य को सम्मान दिलाने के लिए उनके परिवार ने पूरे 17 वर्षों बतक लड़ाई लड़ी और अंततः अब उनको शहीद का दर्जा देने की मांग मान ली गई है.
कैट यानी सेन्ट्रल ट्रिब्यूनल ने एसीटीआई सुशील शर्मा को शहीद मानते हुए उन्हें गेलेंट्री अवार्ड में दिने के निर्देश भारत सरकार को दिए है. इस आदेश के आने पर सुशील शर्मा के परिवारजनों का कहना है कि वह जिस सम्मान के हकदार थे वह अब उन्हें मिल सकेगा.
