“विरासत से विकास” का यथार्थ स्वरूप

महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती पर इंदौर में मंगलवार को आयोजित हुई डॉ. मोहन यादव कैबिनेट की बैठक ने मप्र के राजनीतिक एवं प्रशासनिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। यह बैठक राजनीति के विद्यार्थियों के लिए न केवल देवी अहिल्याबाई के आदर्शों एवं मूल्यों से प्रेरित अपने ऐतिहासिक जनहितैषी निर्णयों के लिए जानी जाएगी बल्कि “विरासत से विकास” की अवधारणा को भी यथार्थ के धरातल पर सिद्ध कर भावी पीढिय़ों के लिए प्रेरणा बनेगी। महारानी होने के बावजूद अहिल्याबाई साध्वी की तरह रहीं, यही कारण है कि आदर्शवादी राजनीति करने वालों के लिए वे आईकॉन हैं। यह बहुत सराहनीय बात है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महारानी अहिल्या के शासनकाल के फैसले, नीतियों और सुशासन से प्रेरित होकर अपनी कैबिनेट की बैठक इंदौर के राजबाड़ा में रखी।

21वीं सदी का अत्याधुनिक, लोक समर्पित, समृद्ध व सर्वसुविधा संपन्न नया मप्र बनाने की दिशा में कैबिनेट की राजबाड़ा बैठक मील का पत्थर साबित होगी। बैठक में लिया इंदौर सहित प्रदेश के पांच शहरों में मेट्रोपॉलिटन विकास प्राधिकरण बनाने का फैसला प्रदेश के राजभोगी महानगरों में विकास के नव अध्याय का सूत्रपात करेगा। प्रदेश के इन नगरों के विकास में यह समस्या आती थी कि दो शहरों के बीच विकास करना हो तो कौन सी एजेंसी करेगी। इसके लिए एक ऐसी संस्था की जरूरत थी जो दो-तीन शहरों के विकास पर बात करे। यही वजह है कि व्यापक स्तर पर मंथन के उपरांत कैबिनेट की राजबाड़ा बैठक में इंदौर-भोपाल-उज्जैन-जबलपुर- ग्वालियर मेट्रोपोलिटन विकास प्राधिकरण बनाने का फैसला लिया गया है। अभी नियम का एक ढांचा बनाया गया है। यह ठीक बात है कि मेट्रोपोलिटन विकास प्राधिकरण बनाने से नगर निगम या प्राधिकरण का काम प्रभावित नहीं होगा। यह प्राधिकरण शहरों का व्यवस्थित विकास करेगा। दूरंदेशी नेता भविष्य के विकास की तस्वीर का खाका पहले ही खींचकर चलते हैं। 25 साल बाद प्रदेश के बड़े शहरों में क्या-क्या जरूरतें होंगी, उसके बारे में अभी से सोचा जा रहा है।

देवी अहिल्या बाई के शासन काल में राजस्व वसूली, पंचायतों को अधिकार, जनसुनवाई समेत ऐसे कई फैसले लिए गए, जो आज भी नजीर हैं। बिना टैक्स बढ़ाए राजस्व 75 लाख से सवा करोड़ रुपए तक पहुंचाना अपने आप में मिसाल थी। प्रतीत होता है कि मप्र की वर्तमान सरकार की नीतियों में शामिल सुशासन, जनसुनवाई और महिला सशक्तिकरण उन्हीं से प्रेरित है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए राजबाड़ा बैठक में तमाम ऐसे निर्णयों पर कैबिनेट ने मोहर लगाई है, जिनका लाभ प्रदेश की आठ करोड़ जनता और वंचित वर्ग को मिलेगा। दुर्घटना होने पर अस्पताल पहुंचाने में सहयोग करने वालों को राहगीर योजना में 25 हजार रुपए देना, किसानों की आय दोगुनी करना, कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों की प्रशिक्षण योजना, महिला सशक्तिकरण के लिए सभी औद्योगिक क्षेत्र में आवास का निर्माण कुछ ऐसे ही अहम निर्णय हैं। युवा, महिला और किसान सभी के विकास के लिए कैबिनेट ने सौगातें दी हैं। नई पीढ़ी का एक वर्ग देवी अहिल्या के लोकहितैषी व्यक्तित्व के बारे में ज्यादा नहीं जानता, लिहाजा प्रदेश के शहरों में अहिल्या नाटकों के मंचन और कवि सम्मेलनों का आयोजन करना महत्वपूर्ण है।

प्रदेश के लिए मई का यह महीना काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। पीएम नरेंद्र मोदी 31 मई को भोपाल में दो लाख महिलाओं के सम्मेलन को संबोधित करेंगे। महिला कामगारों को सौगात के साथ ही पीएम इंदौर मेट्रो, दतिया और सतना एयरपोर्ट का भी लोकार्पण करने जा रहे हैं। जाहिर है कि इन सुविधाओं के बाद देश के मानचित्र पर मप्र और प्रखरता के साथ चमकेगा और विकास के साथ निवेश के नवीन पथ प्रशस्त होंगे। गौरतलब है कि इंदौर राजबाड़ा में हुई ये बैठक राज्य की चौथी डेस्टिनेशन कैबिनेट थी. इससे पहले की बैठकें भेड़ाघाट (जबलपुर), सिंग्रामपुर (दमोह) और महेश्वर (खरगोन) में हो चुकी हैं। अब अगली बैठक 3 जून को होशंगाबाद जिले के पर्यटन स्थल पचमढ़ी में होने जा रही है। यह सराहनीय पहलू है कि सरकार ऐसी कुल 37 कैबिनेट बैठकें अलग-अलग पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों पर कर रही है, ताकि वहां का विकास हो और पर्यटन के जरिए रोजगार के नए अवसर बनें। आज की कैबिनेट बैठक में देवी अहिल्या की मूर्ति को सीएम से आगे रखा जाना “विरासत से विकास” की सरकार की प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है।

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