
हैदराबाद 02 मई (वार्ता) शिक्षा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकान का अनुपात (जीईआर) बढ़ाने में निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है और कहा है कि 2025 तक नामांकन दर 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी संस्थानों की भागीदारी को प्राेत्साहित किया जाना चाहिए।
यहां महिंद्रा विश्वविद्यालय परिसर में भारतीय निजी विश्वविद्यालय परिसंघ (सीआईपीयू) द्वारा उच्च शिक्षा पर हुए सम्मेलन में इस उद्योग की प्रमुख हस्तियों ने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली को शोध-आधारित और अंतःविषय शैक्षणिक वातावरण बनाकर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने का लक्ष्य रखना चाहिए।
सम्मेलन के समापन पर शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) टी. जी. सीताराम ने प्रारंभिक सत्र में कहा, “ निजी विश्वविद्यालय 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ”
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में माध्यमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा में नाम लिखवाने वाले विद्यार्थियों का अनुपात 2014-15 में 23.7 प्रतिशत था जो 2021-22 में 28.8 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
डॉ सीताराम ने कहा, “ विश्वस्तर पर तकनीक के क्षेत्र में उथल-पुथल और परिस्थितियों की गतिशील को देखते हुए हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों पर दूरदर्शी नेतृत्व को गढ़ने की महती जिम्मेदारी है। नयी शिक्षा नीति (एनईपी 2020) एक परिवर्तनकारी वृहद योजना प्रदान करती है। इसमें हमें रटने की आदत से आलोचनात्मक सोच और सिलोस से बहु-विषयक एकीकरण की ओर ले जाने पर बल दिया गया है। ”
महिंद्रा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. याजूलू मेदुरी ने कुलाधिपति आनंद महिंद्रा के एक संदेश के हवाले से कहा, “हमें भारत के लिए वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और अपने अभिनव और अत्याधुनिक विचारों के साथ नेतृत्व करना चाहिए। ”
सम्मेलन के दौरान, पैनलिस्ट और मुख्य वक्ताओं ने उच्च शिक्षा को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, साथ ही स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों, डिजिटल नवाचार और अनुभवात्मक शिक्षा को भी अपनाया।
प्रो. मेदुरी ने कहा, “यह सम्मेलन साहसिक नेतृत्व, प्रौद्योगिकी एकीकरण और सतत नवाचार के माध्यम से उत्कृष्टता के संस्थानों का निर्माण करने के लिए एक सहयोगी आंदोलन है। ”
एमआईटी -वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. राहुल कराड ने कहा, “ जैसे-जैसे निजी विश्वविद्यालय उभर रहे हैं और शैक्षिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, भारतीय निजी विश्वविद्यालयों के परिसंघ (सीआईपीयू) जैसे एकीकृत मंच की स्पष्ट आवश्यकता है। ऐसा निकाय निजी संस्थानों के हितों की रक्षा कर सकता है, साझा चुनौतियों का समाधान कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि अनुसंधान, गुणवत्ता, नवाचार और समावेशिता भारत में उच्च शिक्षा के केंद्र में बनी रहे। ”
राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी)की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनबीए) के अध्यक्ष डॉ अनिल सहस्रबुद्धे ने जोर दिया कि संस्थागत नवाचार तथा सत्यनिष्ठा मान्यता मान्यता का मूल आधार होना चाहिए।
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में अनुसंधान क्षमता निर्माण में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, डिजिटल युग के लिए नेतृत्व कौशल, शिक्षा जगत में उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देना तथा अनुसंधान एवं नवाचार में नेतृत्व जैसे विषयों पर चर्चा की गयी। सम्मेलन में देश भर से करीब 150 कुलपति शामिल हुए।
