शहतूत में मौजूद हैं कई औषधीय गुण

 

शहतूत में मौजूद हैं कई औषधीय गुण

 

हमारी प्रकृति में अनेकों चमत्‍कार हैं और उनमें से ही एक हैं फल. शरीर को ज‍ितने भी पोषक तत्‍वों की जरूरत होती है, वो हमें अलग-अलग फलों और सब्‍ज‍ियों से म‍िलती है. फलों की बात करें तो ये भोजन के स्‍वाद को कई गुना बढ़ा देते हैं. वहीं अगर आप डाइट पर हैं और सेहत के बारे में सोच रहे हैं, तब भी फल आपका मीठा खाने की इच्‍छा पूरा करने के साथ ही आपको सेहत भी देते हैं. भारत में कई तरह के फल मि‍लते हैं, ज‍िनकी अलग-अलग खास‍ियत होती है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं वो कौनसा फल होता है, ज‍िसका न छ‍िलका होता है और न ही इसके अंदर बीज होते हैं? स‍िर्फ ये अनोखा गुण ही नहीं, बल्‍कि इस फल के भीतर पोषक तत्‍व भी कूट-कूट कर भरे होते हैं. आइए बताते हैं आपको इस फल के बारे में.

आपने देखा होगा हर फल में छ‍िलका जरूर होता है. इसके साथ कई फलों में बीज भी होते हैं. वहीं कुछ फल ऐसे भी हैं, ज‍िनमें छ‍िलका होता है, पर बीज नहीं जैसे केला. पर हम बात कर रहे हैं उस फल की ज‍िसमें ये दोनों ही चीज नहीं हैं. ये फल है शहतूत. फलों के छ‍िलके और उनके बीज दोनों ही कई बार फायदेमंद होते हैं. लेकिन शहतूत एक ऐसा फल होता है, ज‍िसमें न तो ऊपर छ‍िलका होता है और न ही अंदर कोई बीज पाया जाता है. शहतूत को अंग्रेजी में Mullbery कहते हैं……

शहतूत । खट्टा-मीठा और रसीला फल जो गांव के बाग बगीचे ,घर की चारदीवारी या फिर खेतों के मेंड़ पर आसानी से देखने को मिल जाता हैं। शहतूत जितना रसीला और मीठा होता है, उतना ही ज्यादा मात्रा में इस में एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है ! गरमी के मौसम में शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होता है। इसके सेवन से पानी की कमी को दूर किया जा सकता है ! पौष्टिकता की नजर से देखें तो शहतूत में विटामिन सी, अम्ल, एंटीआक्सीडेंट व खनिज काफी मात्रा में पाए जाते हैं। पोटेशियम और मैंगनीज जैसे खनिजों से युक्त शहतूत में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी पाए जाते हैं.. शहतूत खाने से पाचन शक्ति अच्छी रहती है. ये सर्दी-जुकाम में भी बेहद फायदेमंद है.

यह यूरि‍न से जुड़ी समस्याओं से लेकर आंखों की रोशनी बढ़ाने तक एवं बढ़ती उम्र के लक्षणों को जल्दी आने से भी रोकने में काम आता है ।

शहतूत खाने से लीवर से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है. साथ ही यह किडनी के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

शहतूत के पत्तों को घाव या फोड़े पर लगाना भी फायदेमंद होता है। इसके प्रयोग से घाव बहुत जल्दी भर जाते हैं। अगर आपको खुजली की दिक्कत है तो इसके पत्तों का लेप फायदेमंद रहेगा।शहतूत की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करने से गले की खराश दूर हो जाता है।

शहतूत का पेड़ लगाना बेहद आसान है। बस पेड़ से टहनियां काट कर उस की 6-8 इंच लंबी कटिंग को मिट्टी में लगा लिजिए। 6 महीने के बाद ही 3-4 फुट तक का पेड़ तैयार हो जायेगा। शहतूत की लकड़ी से बैट बनता है । इस के साथ ही हाकी स्टिक, टेबल टेनिस रैकेट वगैरह भी शहतूत की लकड़ी से ही बनाए जाते हैं।

 

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रितु चौधरी

 

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