बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियाँ और उनसे बचाव

बारिश मे होने वाली बीमारियाँ और उनसे बचाव

गर्मी समाप्त  होने के बाद, वर्षा  ऋतु का आगमन बहुत सुखद लगता है। सुहाने मौसम का आनंद लेने के लिए, लोग पार्क में, झील, झरने, आदि के पास घूमने के लिए उमड़ पड़ते हैं। पर सुहानेपन और शिथिलता के साथ ही , यह मौसम कुछ  स्वास्थ्य संबंधी समसयां भी खड़ी करता है।

 

मांसपेशियों में दर्द

मांसपेशियों में दर्द ( muscular pains), बहुत आम समस्या है। अक्सर छाती मैं या हाथ, पैर , या पूरे  बदन में, हल्के से तेज दर्द हो सकता है। इसका कारण है, बारिश मैं तापमान हल्का ठंडा  हो जाता है। पर, लोग कूलर तथा ए.  सी, चलाते रहते  हैं, तथा मोटे  कपड़े भी नहीं पहनते हैं। हल्की  ठंड के कारण, शरीर की मांसपेशियाँ, गर्मी प्रदान करने के लिए सिकुड़ती हैं, जिससे दर्द होता है। पानी में भीगने के कारण भी, बदन मैं दर्द होता है।  इससे बचाव के लिए, व्यक्ति को, बारिश शुरू होने के साथ, ए -सी, कूलर, आदि का प्रयोग बंद कर देना  चाहिए। पतले सूती कपड़ों की जगह, थोड़े मोटे, सूती,  कपड़े पहनना चाहिए।

त्वचा संबंधी कई समस्याएं

वातावरण  में, नमी के कारण, त्वचा संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं । फंगल इन्फेक्शन इसमे प्रमुख है। बदन के नम हिस्सों में, जैसे काँख, जांघों में, उंगलियों के बीच में, इसके होने का रिस्क अधिक होता है, पर यह कहीं भी शरीर पर हो सकती है। संवेदनशील लोगों में एकजेमा (eczema) होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। इन स्थितियों में, शुरू मैं खुजली होती है, तथा खुजलाने  पर, संक्रमण से, फोड़े, फुंसी, होने की संभावना बढ़ती है। स्वच्छता नहीं रखने पर भी , बदन मैं फोड़े, फुंसी, होने का रिस्क अधिकतर होता है। इससे बचने के लिए, आवश्यक है की त्वचा को साफ रखा जाए, तथा गीला न छोड़ा  जाए।   इसके साथ ही रूखेपन से भी बचाव करना चाहिए। 

खांसी और जुकाम

खांसी, जुकाम की शिकायत भी इन दिनों अधिक पाई जाती है। यह ऐलर्जी, संक्रमण, इनमें से किसी एक, या दोनों कारण से हो सकती है। गले में संक्रमण होने से, गले में दर्द, बुखार, जैसे लक्षण हो सकते हैं। स्कूल मैं साथ बैठने से, छोटे बच्चों मैं एक से दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। छोटे बच्चों मैं तथा बुजुर्गों में  निमोनिया होने का भी खतरा बढ़ जाता है। ध्यान रखा जाए, यदि आपके बच्चे को ज्यादा खांसी या जुकाम , तो जब तक बहुत आवश्यक न हो, उसे स्कूल ना भेजें। घर में, उसे गरम पानी पिलाएं तथा भाप दिलवाएं। ठंडे पेय पदार्थ कदापि  न दें।

इस मौसम में, जिन्हें कान के दर्द की, चक्कर आने की समस्या हो, उन्हें कान स्कार्फ, मफ़लर , आदि से, ढंका रखना चाहिए।

 

दमा (अस्थमा) की परेशानी 

दमा  (अस्थमा) जिन्हें होता है, वो बरसात में ज्यादा परेशान होते हैं, क्योंकि बारिश से, दमे के अटैक अधिक होने का तथा अधिक तीव्रता से होने का रिस्क बढ़ता  है। दमे के रोगियों को इससे बचने के लिए, बाहर रहने पर  मास्क लगाना चाहिए, खाने, पीने की, या शरीर पर प्रयोग करने वाली जिस भी वस्तु से ऐलर्जी हो, उससे बचना चाहिए। जरूरत के लिए इन्हैलर सदैव साथ रखें। प्रतिदिन, सुबह शाम भाप लेना भी लाभदायक है।

उच्च रक्त चाप,

उच्च रक्त चाप, मधुमेह आदि के रोगियों को वर्षा  ऋतु  में  अधिक सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि तापमान थोड़ा ठंडे होने के कारण, हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए नियमित दवा लेना चाहिए  तथा सभी परहेज  का  उचित पालन करना चाहिए।

 गठिया की समस्या

बादल तथा बारिश में जोड़ों का दर्द तथा  गठिया की समस्या भी बढ़ सकती  है। खास कर वृद्ध जन, जिन्हे घुटनों के, गर्दन की , कमर दर्द की शिकायत हो, वो तकलीफ और अधिक बढ़ जाती है। प्रतिदिन सुबह शाम सिंकाई करना, तथा पास्चर संबंधी सावधानी रखने से,यह रिस्क कम  हो जाती है।

स्वस्थ जीवन शैली, का पालन करने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति (इम्यूनिटी) तथा शारीरिक शक्ति बढ़ती है, जिससे बारिश मैं होने वाली बीमारियों से बचाव हो सकता है। उचित खान पान, नियमित व्यायाम तथा पर्याप्त विश्राम, तंबाखू, शराब, आदि नशीले पदार्थों से बचाव,  इसके अहम  हिस्सा हैं।

द्वारा-डॉ रचना पांडे

स्पेशलिस्ट इन्टर्नल मेडिसन

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