होम्योपैथी: थायरॉइड संतुलन का प्राकृतिक समाधान!
आज के समय में थायराइड की बीमारी तेजी से फैल रही है। इस बीमारी में वजन तो घटता ही है साथ ही हॉर्मोन भी गड़बड़ हो जाते हैं। आयुर्वेद की माने तो थाइराइड होने का कारण वात, पित्त और कफ से संबंधित है।
थायराइड बीमारी क्या है?
थायराइड गर्दन के अंदर स्थित होती है। थायराइड एक तरह का एंडोक्राइन ग्रंथि(नलिकाहीन ग्रन्तियां) है, जो हॉर्मोन का निर्माण करते हैं। यह एक आम दोष है जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है।
थायरॉइड हार्मोन का काम
आपका शरीर थायरॉइड से ये फायदा होता है:-
थायरोक्सिन हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल तथा फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
यह हड्डियों, पेशियों, लैंगिक तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
हृदयगति एवं रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।
विशेष रूप से थायरॉइड (हाइपो व हाइपर), हाशिमोटो थायरॉयडिटिस और अन्य ऑटोइम्यून रोगों में होम्योपैथी की भूमिका अत्यंत प्रभावी और स्थायी है।
होम्योपैथी व्यक्ति की संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रोग के मूल कारण का उपचार करती है। थकान, बाल झडऩा, वजन बढऩा या घटना, अनियमित माहवारी, चिड़चिड़ापन जैसी लक्षणों में यह बिना हार्मोनल दवाओं के बेहतर परिणाम देती है।
प्रबंधन व खानपान के सुझाव:
आयोडीन युक्त नमक का संतुलित सेवन करें
ब्रोकली, सोया, फूलगोभी जैसी गोइट्रोजेनिक सब्जियों से परहेज करें
प्रोसेस्ड फूड, कैफीन व शुगर से दूरी बनाएं
नियमित व्यायाम व तनाव से मुक्ति हेतु ध्यान करें
होम्योपैथिक दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह से करें
डॉ.महान चौधरी
एमडी (होम्योपैथी)
डायरेक्टर-विजयी होम्योपैथिक सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक एवं रिसर्च सेंटर,भोपाल