मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति के लिए शुभ होती है माघी पूर्णिमा

महाकुंभनगर, 12 फरवरी (वार्ता) माघी पूर्णिमा स्नान मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति के लिए शुभ होता है। इस दिन गंगा अथवा किसी पवित्र सरोवर में स्नान दान करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और वह व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।

शैव संप्रदाय के श्री जूना अखाड़ा के जगद्गुरू और सूर्याचार्य कृष्णदेवनंद गिरि महराज ने सेक्टर 12 में शंकराचार्य मार्ग स्थित शिविर में बताया कि इस बार यह महीना अश्लेषा नक्षत्र से शुरू हुआ है। इसमें पूर्णिमा पर मघा नक्षत्र होने के कारण ऋषि-मुनियों ने इसका नाम माघ रखा गया है। जिनमें तीर्थ स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म होते हैं और पुण्य फल भी मिलता है। माघ महीने में आने वाले व्रत और पर्व सकारात्मकता बढ़ाते हैं। ऋषि-मुनियों की बनाई इन परंपराओं से आपसी प्रेम, सहयोग, त्याग, दया और खुशी की भावना बढ़ती है।

उन्होंने बताया कि माघ मास का महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि इस वक्त प्रकृति में बदलाव का समय होता है और वह खुद को भी शुद्ध कर रही होती है। माघ पूर्णिमा का दिन आत्म-शुद्धि, दान और ईश्वर के प्रति समर्पण का दिन है। इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और उचित विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य को पुण्य फल प्राप्त होता है, और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

जगद्गुरू ने बताया कि कल्पवासी एक मास तक कल्पवास करते हैं। उनका संम्पूर्ण फल इसी माघ पूर्णिमा स्नान पर ही मिलता है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज सभी तीर्थो का राजा है इसीलिए यहां पर कल्पवास की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता और कल्पवासियों को जो अनंत पुण्य यहां मिलता है वह और कहीं नहीं।

सूर्याचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म को पूर्णिमा का शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि प्रत्येक महीने पड़ती है लेकिन माघ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के जीवन के समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है। इस दिन धरती पर गंगा स्नान करने धरती पर किसी रूप में आते हैं इसलिए यह तिथि बहुत पवित्र और अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।

उन्होंने पद्म पुराण का हवाला देते हुए कहा कि माघ महीने में जप, होम और दान का विशेष महत्व है। इस महीने में सूर्योदय से पहले नहाने, कई तरह का दान करने और भगवान विष्णु का स्तोत्र पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। इस महीने सूर्य के त्वष्टा रूप की पूजा करनी चाहिए। पुराणों में बताया गया है कि इस महीने में भगवान कृष्ण और शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए। शिव पूजा में तिल के तेल का दीपक लगाने से शारीरिक परेशानियां नहीं होती।

जूना अखाड़े के जगद्गुरू ने बताया कि महाभारत और अन्य पुराणों में कहा गया है कि इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। किन्ही कारणवश ऐसा न हो पाए तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है। साथ ही पानी में तिल डालकर नहाना चाहिए। इससे कई जन्मों के पाप खत्म होते हैं। इस महीने तांबे के बर्तन में तिल भरकर दान करना चाहिए।

Next Post

फतेहपुर: श्रद्धालुओं से भरी एक टेंपो ट्रैवलर की डंपर से टक्कर, 04 की मौत

Wed Feb 12 , 2025
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email फतेहपुर 12 फरवरी(वार्ता) उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में बुधवार सुबह श्रद्धालुओं से भरी एक टेंपो ट्रैवलर, डंपर से टकरा गई जिससे उसमें सवार चार लोगों की मौके पर मौत हो गई जबकि एक दर्जन लोग घायल […]

You May Like

मनोरंजन