कल 10 फरवरी को माड़ा रेंज के बीट रौंदी में मृत मिली थी बाघिन, फोरेंसिक जांच हेतु लिए गये सेम्पल
सिंगरौली : वन परिक्षेत्र माड़ा के बीट रौंदी के जंगल में बीते दिन कल सोमवार की शांम संजय टाइगर रिजर्व सीधी से आई टी-60 का शव मिलने के बाद सकते में आ गया। वन अमले की टीम ने बाघिन के शव को अपने कब्जे में लेकर आज तीन सदस्यीय टीम ने शव का परीक्षण किया और इसके बाद बाघिन का दाह संस्कार प्रोटोक ाल के अनुसार किया गया। इस दौरान सीसीएफ रीवा एवं डीएफओ, एसडीओ तथा रेंजर माड़ा एनटीसीए के प्रतिनिधि व वन अमला मौजूद रहा। बाघिन की मौत का कारण टीबी जैसे बीमारी से ग्रसित बताया जा रहा है।
गौरतलब हो कि बुधवार की रात से फीमेल टाइगर्स के दस्तक देने का सुराग मिलते ही साजापानी समेत कई गांंव में हड़कम्प मच और ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन कर्मियों को दिया था। इस दौरान सीधी जिले के संजय टाइगर दुबरी भूईमाड़ रेंज से क्रॉस कर बाघिन माड़ा परिक्षेत्र के डोंगरी व लंघाडोल क्षेत्र में लोकेशन मिला था। वन रेंजर माड़ा ने फौरन संजय टाइगर वन अमले को अवगत कराते हुए 5 अलग-अलग दल गठित कर सभी परिक्षेत्र सहायकों को प्रभारी बनाते हुए रेंज स्तर पर मानिटरिंग करने लगे। जहां संजय टाइगर टीम ने संयुक्त रूप से टै्रकिंग और गश्ती करते हुए नजर रख रही है। बाघिन को कॉलर आईडी भी लगी हुई है।
वन कर्मी लगातार गस्त कर रहे थे। लगातार वन अमला बाघिन को तलाशने के लिए लगा हुआ था। वन विभाग ने उसका लोकेशन रौंदी में ट्रेस किया था। लेकिन पिछले तीनों दिनों से बाघिन का कोई मूवमेंट न होने से वन अमला सख्ती में आ गया और बीट रौंदी के जंगल में तलाश शुरू कर दिया। कल सोमवार की देर शाम बाघिन का संदिग्ध परिस्थतियों में शव मिलने से वन अमले में हड़कंप मच गया। इसकी जानकारी डीएफओ और एसडीओ एनके त्रिपाठी, रेंजर हर्षित मिश्रा पहुंच शव को अपने कब्जे में लेते हुए आज दिन मंगलवार को बाघिन टी-60 का पोस्टमार्टम कराया गया।
सीसीएफ पहुंचे घटना स्थल पर
उप वनमण्डलाधिकारी बैढ़न एनके त्रिपाठी ने बताया कि बाघिन टी-60 का शव मिलने के बाद मुख्य वन संरक्षक रीवा, डीएफओ के साथ-साथ संजय टाइगर रिजर्व सीधी के डिप्टी डायरेक्टर के अलावा एनटीसीए के प्रतिनिधि भी पहुंचे जहां तीन सदस्यीय बिटनरी चिकित्सको के द्वारा बाघिन का शव परीक्षण किया गया। वही फोरेंसिक जांच के लिए सेम्पल लिये गये। शव परीक्षण उपरांत पाया गया कि बाघिन टी-60 लम्बे समय से ट्यूबरकुलोसिस नामक जैसे बीमारी से ग्रसित थी। बाघिन का दाह संस्कार प्रोटोकाल के अनुसार किया गया।