नई दिल्ली, (वार्ता) प्राथमिक रसायनों, रासायनिक तथा डाई उत्पादों के निर्यात संवर्धन के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रायोजित परिषद केमेक्सिल को विश्वास है कि इस वर्ष बजट में प्रस्तावित अनुकूल उपायों से देश के रसायन क्षेत्र का निर्यात 30 अरब डालर के वार्षिक स्तर को पार कर जाएगा।
केमेक्सिल ने गुरुवार को कहा कि आवश्यक कच्चे माल पर आयात शुल्क में कटौती और सूक्षम, लघु तथा मझोले क्षेत्र (एमएसएमई) के लिए समर्थन उपायों सहित बजट प्रस्तावों से घरेलू विनिर्माण को बल मिलने वाला है।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान, रासायनिक निर्यात 21.20 अरब डॉलर तक पहुँच गया। केमेक्सिल के चेयरमैन अभय उदेशी ने कहा कि वैश्विक स्थिरता रुझानों के साथ संरेखित करने के लिए ‘ग्रीन केमिकल्स’ और जैव-आधारित विशेष रसायनों को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा, “बजट की पहलों से निर्यात को काफी बढ़ावा मिलेगा। वर्ष 2025-26 का बजट अधिक व्यापार की सुविधा प्रदान करने वाला, विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने वाला और व्यापार में आसानी बढ़ाने वाला है।” बजट में फॉस्फोरिक एसिड, बोरिक एसिड और सोर्बिटोल जैसे आवश्यक कच्चे माल पर शुल्क में कटौती का प्रस्ताव किया गया है।
श्री उदेशी ने यह भी बताया कि परिषद आठ फरवरी को मुंबई में उत्कृष्ट निर्यातकों को सम्मानित करने जा रही है। इस समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत उपस्थित रहेंगे।
केमेक्सिल ने श्रीमती पटेल के हवाले से कहा है कि रसायन उद्योग को अत्याधुनिक तकनीकों, टिकाऊ प्रथाओं और मूल्यवर्धित विनिर्माण को अपनाना चाहिए।
भारतीय रसायन उद्योग का आकार 2022 में लगभग 220 अरब अमरीकी डॉलर था। इसके 2025 में 300 अरब अमरीकी डॉलर और 2040 तक 1,000 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
परिषद के अनुसार, उद्योग विविध है, जिसमें 80,000 से अधिक वाणिज्यिक उत्पाद शामिल हैं। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।
