भारत ने औद्योगिक डिजाइन संरक्षण कानून संबंधी रियाद संधि पर हस्ताक्षर किए

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (वार्ता) भारत सहित विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के सदस्य देशों ने औद्योगिक डिजाइन पर अधिकार के संरक्षण के कानून पर एक संधि को अपनाने पर सहमति दे दी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि रियाद डिजाइन कानून संधि (डीएलटी) सम्मेलन की कार्यवाही के अंतिम सारांश- पत्र पर हस्ताक्षर करके “भारत ने इस क्षेत्र में अपनी प्रगति को आगे बढ़ाते हुए समावेशी विकास को बढ़ावा देने तथा बौद्धिक संपदा संरक्षण की व्यवस्था तक न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।” बयान में कहा गया है कि इस संधि का उद्देश्य औद्योगिक डिजाइन अधिकार संरक्षण की प्रक्रिया के प्रारूप को सुसंगत बनाते हुए कई अधिकार क्षेत्रों में पंजीकरण प्रक्रियाओं को अधिक और सहज बनाना है।
डीएलटी के तहत सदस्य देश डिजाइन के पंजीकरण और डिजाइन पर अधिकार के संरक्षण के आवेदन की प्रक्रियाओं को एक मानक स्वरूप देंगे जिससे प्रशासनिक बोझ कम होगा और दुनिया भर में औद्योगिक डिजाइन के क्षेत्र में रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का कहना है कि इस संधि का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सुव्यवस्थित डिजाइन अधिकार संरक्षण प्रक्रिया से सभी हितधारकों को लाभ मिले। इसमें लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई), स्टार्टअप और स्वतंत्र डिजाइनरों पर विशेष बल दिया गया है।
डीएलटी ने डिजाइन आवेदकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कई प्रमुख प्रावधान पेश किए हैं, जिनमें समय सीमा में छूट, न मिलने वाले अधिकारों की बहाली, प्राथमिकता दावों को सही करने या जोड़ने का विकल्प, असाइनमेंट और लाइसेंस रिकॉर्ड करने की सरलीकृत प्रक्रियाएं और एक ही आवेदन में कई डिज़ाइन दाखिल करने का विकल्प शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम और स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण (एसआईपीपी) योजना जैसी पहलों के साथ मिल कर ये प्रावधान स्टार्टअप और एसएमई को वैश्विक स्तर पर डिजाइन अधिकार सुरक्षित करने, उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के साथ-साथ बाजार के विकास का समर्थन करने में सहायता प्रदान करेंगे।
भारत ने रचनात्मकता और शिल्प कौशल की अपनी समृद्ध विरासत के साथ दीर्घकालिक आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में डिजाइन की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी है। डिजाइन अधिकार संरक्षण के बारे में देश की देश की नीति के परिणाम अच्छे बताए गए हैं। मंत्रालय के अनुसार पिछले दशक में, भारत में डिजाइन पंजीकरण तीन गुना बढ़ गए हैं, पिछले दो वर्षों में देश के अंदर डिजाइन के प्रकरण के लिए देश की इकाइयों की ओर से दायर आवेदनों में 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष भारत में डिजाइन के आवेदनों में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

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