नवभारत न्यूज
खंडवा। शहर में कितनी बारिश हुई? इसका पैमाना रेलवे का अंडर ब्रिज तीन पुलिया तय करता है। 2024 के जमाने में यह शहर के लिए शर्मनाक है। लोग इसी गंदगी वाले अंडर ब्रिज से निकलने को मजबूर हैं। सैप्टिक टैंक के ओवर-फ्लो और खुले शौचालयों का मलबा समेत गंदगी बहकर यहीं आती है। इसी में से लोग निकलने को मजबूर हैं।
बुधवार को तो तेज बारिश के बाद तीन पुलिया ने नदी का रूप ले लिया। फिर भी शार्ट-कट के चक्कर में लोग निकलने की जिद करते देखे गए। इन लोगों को बचाने के लिए पहले बेरिकेट्स लगाए। फिर भी लोग नहीं माने तो कोतवाली टीआई व पुलिसकर्मियों को तैनात होना पड़ा। दरअसल, आधा शहर पटरी के पार बसा है। ये भले तीन पुलिया के गंदे पानी से गुजकर घर या दफ्तर जाते हों, इस एरिया को सिविल लाइन कहा जाता है। मूंदी व एक लाख करोड़ के पावर प्लांट जाने का शार्टकट भी इसी गंदगी को लांघकर जाने वाला है।
तारीख पर तारीख मिल रही
पचास साल के संघर्ष के बाद इस पर तीन भुजाधारी ओवर-ब्रिज स्वीकृत हुआ। इसे बनते-बनते भी सात साल हो गए। पूर्व सांसद स्व. नंदकुमार चौहान से भूमिपूजन किया था। वर्तमान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल की भी दूसरी टर्म चल रही है। ठेकेदार को निर्माण पूरा होने की अंतिम तिथि के लिए अदालत की पेशी की तरह तारीख-पर-तारीख मिलती जा रही है।
लोगों के सब्र की परीक्षा
कई बार तो बनते-बनते ही डिजाइन चेंज कर दिए गए। लोग इसके नीचे से गिरते-पड़ते निकल रहे हैं। न प्रशासन ध्यान देता, न ही जनप्रतिनिधि। लोगों में गुस्सा तो बहुत है,लेकिन खंडवा की जनता की तासीर भी उन्हें पता है। वोट देना लोगों की मजबूरी है।