ग्वालियर: देवउठनी एकादशी कल 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पांच माह बाद भगवान श्रीहरि देव योग निद्रा से जागेंगे और फिर समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया कि हिंदू धर्म में इसे देवोत्थान एकदशी के नाम से भी जाना जाता है।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी मां लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है, इसके प्रभाव से बड़े-से-बड़ा पाप भी क्षण मात्र में ही नष्ट हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि देवउठनी एकादशी की रात्रि जागरण कर पूजा करने से साधक की आने वाली 10 पीढ़ियां विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करती है, पितृ नरक से मुक्ति पाते हैं। देवउठनी एकादशी का व्रत कथा के बिना अधूरा है।
खरीदारों से दुकानें ठसाठस
देवउठनी एकादशी पर शहर में बड़ी संख्या में विवाह समारोह आयोजित होंगे। इसके चलते बुधवार सुबह से ही बाजारों में दुकानें खरीदारों की भीड़ से ठसाठस रहीं। खरीदार दुकानों में पहुंचकर ज्वेलरी, कपड़े, श्रृंगार के आइटम सहित तमाम चीजों की खरीदारी कर रहे थे। दुकानों पर भीड़ देखकर कारोबारियों के चेहरे भी खिले हुए थे।
पूजा समय
सुबह 5.21 से 6.41 बजे
रात्रि का मुहूर्त
शाम 5.54-रात 6.45 बजे
व्रत पारण समय
सुबह 6.42-सुबह 8.51