रीसाइकलिंग और अपशिष्ट प्रबंधन – स्वच्छ भारत की दिशा में एक कदम
“धरती हमारी माता है, इसे स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है।”
हमारा भारत सदियों से प्रकृति-पूजक रहा है। नदियों को माँ माना जाता है, वृक्षों को देवता, और धरती को स्वयं माता का स्थान दिया गया है। लेकिन क्या हमने सच में अपनी इस धरती का सम्मान किया है? बढ़ती आबादी, शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली के कारण अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management) हमारे लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
अपशिष्ट प्रबंधन क्या है?
अपशिष्ट प्रबंधन का अर्थ है कचरे का वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से संकलन, निपटान और पुनः उपयोग (रीसाइकलिंग) करना, ताकि यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचाए। यह प्रक्रिया Reduce (कचरा कम करना), Reuse (पुनः उपयोग), और Recycle (पुनर्चक्रण) के सिद्धांत पर आधारित होती है।
आज सड़कों, नदियों और समुद्र तटों पर बिखरा प्लास्टिक केवल दृश्य प्रदूषण नहीं है, बल्कि यह हमारी पर्यावरणीय संवेदनशीलता और सामाजिक ज़िम्मेदारी पर भी एक प्रश्न चिह्न है। भाषण तो सब देते हैं, लेकिन ठोस कदम कोई नहीं उठाना चाहता। इसलिए कचरे का सही संकलन, पुनर्चक्रण (रीसाइकलिंग), और निपटान (डिस्पोजल) बेहद आवश्यक हैं।
अपशिष्ट क्यों आवश्यक है?
आज भारत में प्रतिदिन लाखों टन कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन इसका बहुत बड़ा हिस्सा पुनः उपयोग योग्य होते हुए भी गलत निपटान और जागरूकता की कमी के कारण बर्बाद हो जाता है। रीसाइकलिंग (Recycling) और अपशिष्ट पृथक्करण (Waste Segregation) को अपनाकर हम पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ऊर्जा बचत, जल शुद्धि और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी कर सकते हैं।
हालांकि सरकार और कहीं संस्था इस ओर अपने कदम उठा रही है।
सरकारी प्रयास और जनभागीदारी की भूमिका
स्वच्छ भारत अभियान और प्लास्टिक मुक्त भारत जैसी सरकारी योजनाएं इसी दिशा में काम कर रही हैं। लेकिन कोई भी सरकार या संस्था तभी सफल होगी जब जनता उनका भरपूर साथ दे और शुरुआत खुद से करे।
अपशिष्ट प्रबंधन के प्रभावी उपाय
अपशिष्ट प्रबंधन की शुरुआत हमारे घरों से ही होती है। कुछ इस तरह हम अपशिष्ट प्रबंधन की और कदम उठा सकते है।
– अपशिष्ट संकलन (Waste Collection):घरों, उद्योगों, कार्यालयों और बाजारों से निकले कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करना चाहिए। ‘गीला कचरा’ और ‘सूखा कचरा’ अलग-अलग करने की आदत डालनी चाहिए।
– रीसाइकलिंग (Recycling):प्लास्टिक, कागज, धातु और कांच को पुनः उपयोग में लाकर प्राकृतिक संसाधनों की बचत की जा सकती है। कई कंपनियां और सरकारी संस्थाएं कचरा पुनर्चक्रण को बढ़ावा दे रही हैं।
– स्वास्थ्य वेस्ट प्रबंधन (Biomedical Waste Management):अस्पतालों, प्रयोगशालाओं और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट (Biomedical Waste) को सुरक्षित रूप से नष्ट करना आवश्यक है। इसके लिए रंग-कोडेड कूड़ेदानों (Color-coded bins) का उपयोग किया जाता है।
हमारे कॉम्प्लेक्स में हमने हर लॉबी में भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूलों के लिए एक अलग बिन रखवाया है। इन फूलों से हम खाद बनाकर गार्डन में उपयोग करते हैं। इसी तरह, छोटे-छोटे प्रयास करके हम सभी योगदान दे सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (E-waste) प्रबंधन
आधुनिक युग में ई-वेस्ट (E-waste) भी एक बड़ी समस्या बन चुका है। पुराने मोबाइल, लैपटॉप, टेलीविज़न, बैटरी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कूड़े में फेंकने के बजाय, उन्हें विशेष पुनर्चक्रण केंद्रों (Recycling Centers) में देना चाहिए।
इलेक्ट्रॉनिक कचरे में सीसा, पारा और अन्य जहरीले तत्व होते हैं, जो मिट्टी और पानी को प्रदूषित कर सकते हैं।
– कई कंपनियां अब ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राइव चला रही हैं, जहां लोग अपने पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स को सही तरीके से नष्ट कर सकते हैं। ई-वेस्ट कूड़ेदान विभिन्न विभिन्न सोसाइटी और कार्यालय में देखें जाते है जो पर्यावरण की और एक सार्थक कदम है।
घरेलू खाद (Composting) – जैविक कचरे का समाधान
– हर घर में गीले कचरे से खाद (Compost) बनाने की आदत डालनी चाहिए।
– किचन वेस्ट जैसे सब्जियों के छिलके, बचा हुआ भोजन और पत्तियां कंपोस्ट बिन में डालकर जैविक खाद बनाई जा सकती है।
– इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है।
अपशिष्ट से ऊर्जा (Waste-to-Energy) – कचरे से बिजली
क्या आप जानते हैं कि कचरे से बिजली भी बनाई जा सकती है?
– कई देशों में बायोगैस प्लांट और वेस्ट-टू-एनर्जी (Waste-to-Energy) संयंत्र कचरे को जलाकर बिजली और जैविक ईंधन उत्पन्न कर रहे हैं।
– भारत में भी कई शहरों में अपशिष्ट से ऊर्जा निर्माण की परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
इंदौर मॉडल: एक प्रेरणा
इंदौर, जिसे भारत का सबसे स्वच्छ शहर माना जाता है, ने अपशिष्ट प्रबंधन में एक मिसाल कायम की है। रंगपंचमी के भव्य आयोजन के बाद भी, अगले ही दिन पूरा शहर पूरी तरह साफ कर दिया जाता है। यह दिखाता है कि सही योजना और जनभागीदारी से कचरा प्रबंधन संभव है।
निष्कर्ष
अपशिष्ट प्रबंधन कोई वैकल्पिक उपाय नहीं, बल्कि आज की आपात जरूरत है। यदि हम सभी मिलकर अपना कचरा सही तरीके से अलग करें, कम अपशिष्ट उत्पन्न करें और पुनर्चक्रण को बढ़ावा दें, तो हमारा पर्यावरण स्वच्छ और सुरक्षित बना रहेगा।
चंद पंक्तियों में अपनी बात कहना चाहूंगी
स्वच्छता अपनाएं, पर्यावरण बचाएं!
“धरती की गोद को स्वच्छ बनाएँ,
प्रकृति का मान सदा बढ़ाएँ।
अपशिष्ट न बने भार हमारा,
रीसाइकलिंग हो संकल्प हमारा!”
– सुचिता सकुनिया