आवागमन होता था बाधित, दुकानदारो ने ननि आयुक्त से मिलकर बताई समस्या, पूर्व में 15 दिन का दिया गया था समय
नवभारत न्यूज
रीवा, 2 जुलाई, शहर की बिगड़ी यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने और कालेज चौराहे में अतिक्रमण कर रखी गई गोमतियों को हटाया गया. दरअसल यहा जाम लगता था जिसके कारण मंगलवार को पुलिस की मौजूदगी में नगर निगम द्वारा आधा सैकड़ा गोमतियां हटा दी गई है. पूर्व में कार्यवाही के दौरान 15 दिन का समय दिया गया था और समय-सीमा पूरी होने के बाद कार्यवाही की गई.
सुबह 11 बजे नगर निगम अमला पुलिस बल के साथ कार्यवाही करने पहुंचा. जहां गोमती वालो ने इसका विरोध किया. बावजूद इसके जेसीबी गोमतियो पर चल गई. आधा सैकड़ा गोमतियां हटाई गई. जिसमें दर्जन भर तो ऐसी थी जो खाली थी. जबकि अन्य गोमतियां संचालित थी, जिन्हे हटाया गया. कार्यवाही शुरू होते ही गोमती संचालको ने विरोध शुरू किया पर किसी की एक न चली. देखते ही देखते सभी दुकाने हटा दी गयी. पूर्व में यहां पर कार्यवाही की गई थी लेकिन विरोध के चलते कार्यवाही रोक दी गई थी और आश्वासन दिया गया था कि 15 दिन के अंदर सभी गोमतियां हटा ली जायेगी. जिसके कारण कार्यवाही रूक गई थी और गोमतियां हटाने के लिये 15 दिन का समय दिया गया था. इसके बाद भी गोमतियां नही हटाई गई थी. कालेज चौराहे से लेकर सिरमौर चौराहे तक गोमतियां रखी थी, जिसके कारण जाम लगता था और आवागमन बाधित होता था. यातायात बेहतर बनाने के लिये अतिक्रमण हटाया गया. कालेज चौराहे के गोमती वाले नगर निगम आयुक्त से मिलने पहुंचे. जहां निगम आयुक्त डा0 सौरभ सोनवणे द्वारा उनकी बातें सुनी गई और आश्वासन दिया कि जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकाला जाएगा. आयुक्त ने स्पष्ट किया कि रास्तों से अतिक्रमण हटाने का कार्य किया जाएगा ताकि यातायात सुचारू बनाया जा सके और नागरिकों को आवागमन की सुविधा में बाधा उत्पन्न न हो. आयुक्त ने यह भी कहा कि गोमती वालों की आजीविका को ध्यान रखते हुए नए स्थान चिन्हित कर पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी, जिससे उनके रोजगार और जीवन यापन पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े एवं साथ ही समझाइस दी गई अतिक्रमण न करे.
एक झटके में बेरोजगार हो गये दुकानदार
फुटपाथ पर गोमती रखकर रोजगार करने वाले दुकानदारो ने बताया कि पूर्व में कार्यवाही की गई थी. लेकिन आश्वासन दिया गया था कि दुकान नही हटाई जायेगी पर मंगलवार को हटाने की कार्यवाही की गई. दुकानदारो का कहना है कि कही पर हमारी व्यवस्था की जाती, उसके बाद हटाने की कार्यवाही होती तो ठीक था. लेकिन कही पर भी पुर्नवास की व्यवस्था नही की गई और अचानक कार्यवाही शुरू कर दी गई. एक झटके में सभी दुकानदार बेरोजगार हो गये.