ट्रंप की नीतियों से तहस-नहस बाजार

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू की गई नई टैरिफ पॉलिसी के बाद पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है.ट्रंप के इस फैसले से दुनियाभर के शेयर बाजारों में तबाही आ गई है. जाहिर है इसका नुकसान भारतीय शेयर बाजार और हमारे निवेशकों को उठाना पड़ रहा है.सोमवार को भारतीय शेयर बाजार का प्रमुख इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स 3914.75 अंकों की गिरावट के साथ 71,449.94 अंकों पर खुला. वहीं दूसरी ओर, एनएसई का निफ्टी 50 इंडेक्स भी सोमवार को 1146 अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 अंकों पर खुला.दरअसल कई प्रमुख कंपनियों के शेयर 10-10 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुले. शेयर बाजार के तहस-नहस होने का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि यह कोविड के बाद भारतीय शेयर बाजार की ये सबसे बड़ी गिरावट है. केवल सोमवार की गिरावट के कारण ही निवेशकों को लगभग 20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.दरअसल,भारतीय शेयर बाजार में सोमवार की इस तबाही के पीछे सबसे बड़ी और सबसे अहम वजह है डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लागू किया है. ये टैरिफ, अमेरिका में एक्सपोर्ट किए जाने वाले भारतीय सामान और सेवाओं पर वसूला जाएगा. अमेरिका के इस फैसले से भारतीय कंपनियों का बिजनेस सीधे तौर पर प्रभावित होगा, क्योंकि कंपनियों को अब पहले से ज्यादा टैरिफ चुकाना होगा, जिसका सीधा असर कंपनियों के मुनाफे पर पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार निवेशकों को डर है कि नई टैरिफ पॉलिसी से भारतीय कंपनियों के प्रॉफिट पर बुरा असर पड़ेगा. यही वजह है कि लोग आज भारी मात्रा में शेयर बेचकर अपने-अपने पैसे निकालने में जुट गए. बिकवाली हावी होने पर शेयरों का भाव गिरता है, जिसकी वजह से बाजार में गिरावट आती है. हालांकि मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि भारतीय बाजार का फंडामेंटल मजबूत है.अमेरिका ने कई देशों की तुलना में भारत पर तुलनात्मक रूप से कम टैरिफ लगाया है.इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अमेरिका टैरिफ रेट को लेकर मोलभाव कर सकता है और इस लिस्ट में सबसे पहले भारत का नाम है. भारत और अमेरिका के बीच जल्द ट्रेड डील हो सकती है और इस डील में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती काफी मददगार साबित हो सकती है. भारत, दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. लिहाजा, यहां के बाजार की स्थिति अभी भी काफी अच्छी है और खपत के आधार पर आगे भी अच्छी बनी रहेगी.विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में फिलहाल मंदी के कोई आसार नहीं है.इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार गिरावट और रुपये की स्थिति में मजबूती से भी भारत को फायदा ही मिलेगा. इतना ही नहीं, आने वाले समय में भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकती है, जिससे देश की खपत में और ज्यादा बढ़ोतरी होना तय है. इन सभी बातों को ध्यान में रखकर देखा जाए तो भारतीय बाजार की स्थिति स्थिर है. जहां तक भारत का सवाल है तो वित्त मंत्रालय ने कहा है कि फिलहाल हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन स्थिति गंभीर जरूर है. सबसे बड़ी बात यह है कि दुनिया का दूसरे बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था तबाही की ओर जा रही है. इसलिए कच्चे तेल के भाव में भारी गिरावट देखी जा रही है. यदि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आती है तो हमारा आयात बिल कई लाख करोड़ रुपए कम हो जाएगा.दरअसल, भारत के आयात और निर्यात में काफी अंतर है. भारत विभिन्न वस्तुओं का आयात ज्यादा करता है, निर्यात कम. इसलिए हमारे निर्यातकों को अस्थाई नुकसान जरूर हो रहा है, लेकिन आयात खर्च कम होने से अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनी हुई है.

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