लोक परंपरा को जीवित करती लोक नृत्य की प्रस्तुतियां


भोपाल: मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य गायन और वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना की प्रस्तुति रविवार को दी गई। इस अवसर पर प्रदेश के लोकांचलों की सांस्कृतिक विविधता सजीव नजर आई। कार्यक्रम में विंध्य और बुंदेलखंड अंचल के पारंपरिक नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुतियां हुईं। जिसमें दर्शकों को लोक परंपराओं की गहराई से रूबरू होने का अवसर मिला।
अहिराई नृत्य से जीवित हुई लोक परंपरा
कार्यक्रम में सीधी से आए पवनपुत्र यादव और उनके साथियों ने अहिराई नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में यादव समुदाय की वीर गाथाओं और लोक मान्यताओं की झलक देखने को मिली। वहीं नगड़िया और शहनाई की संगत पर प्रस्तुत इस नृत्य ने विंध्य क्षेत्र की लोक परंपरा को मंच पर सजीव कर दिया।
ढपला, टिमकी और बांसुरी ने बनाया माहौल
सागर से आई हर्षा चौरसिया और उनके दल ने बुंदेलखंड का प्रसिद्ध बधाई नृत्य प्रस्तुत किया। जन्म विवाह और उत्सवों से जुड़े इस नृत्य में उल्लास और उमंग साफ दिखाई दी। रंगीन वेशभूषा और सधे हुए पद संचालन ने दर्शकों का मन मोह लिया। ढपला टिमकी और बांसुरी की धुन पर नृत्य ने माहौल को उत्सवमय बना दिया।
नूतन कॉलेज की छात्राओं ने दी प्रस्तुति
कार्यक्रम के एक विशेष सत्र में सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय भोपाल की छात्राओं ने गोंड जनजाति के करमा सैला नृत्य की प्रस्तुति दी। कुल 20 छात्राओं ने मिलकर इस प्रस्तुति को इतना शानदार बना दिया कि सभी की निगाहें मंच पर टिकी रह गई। छात्राओं को नृत्य का प्रशिक्षण गोंड समुदाय के कलाकार सुकलसिंह धुर्वे और हास्यकुमारी मरावी ने दिया और कोरियोग्राफी श्वेता देवेंद्र ने की

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