ममता ने प्रधानमंत्री की ‘बंकिम दा’ टिप्पणी पर जतायी कड़ी नाराजगी

कोलकाता, 09 दिसंबर (वार्ता) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोमवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को ‘बंकिम दा’ कहकर संबोधित किये जाने की मंगलवार को उनकी कड़ी आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने कूचबिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बंगाल की सबसे सम्मानित साहित्यिक शख्सियतों में से एक के प्रति इस अज्ञानता और अनादर काे चौंकाने वाला बताया। सुश्री बनर्जी ने कहा, “कल संसद में उन्होंने (प्रधानमंत्री) बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को ‘बंकिम-दा’ कहा। जैसे वह ‘श्याम-दा’ या ‘हरि-दा’ कह रहे हों। राष्ट्रीय गीत लिखने वाले बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय कहीं अधिक सम्मान के पात्र थे। आपको शर्म से सिर झुकाना चाहिए, वह भी काफी नहीं होगा। आपने इस देश की संस्कृति और इतिहास का अपमान किया है।”
मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बंगाल की बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत को बार-बार कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “उन्होंने (प्रधानमंत्री) कहा कि राजा राममोहन राय देशभक्त नहीं थे। उन्होंने खुदीराम बोस को आतंकवादी कहा। उन्होंने विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ी।”
तृणमूल ने सोमवार को श्री मोदी के भाषण के तुरंत बाद इसका एक हिस्सा ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, जिसमें प्रधानमंत्री को ‘सांस्कृतिक रूप से निरक्षर’ बताया गया और भाजपा पर ‘बंगाल की संस्कृति के लिए भयानक रूप से बाहरी’ होने का आरोप लगाया गया। पार्टी ने लिखा, “नहीं, मोदी जी, बंगाल उन शख्सियतों पर यूँ ही ‘दा’ प्रत्यय नहीं लगाता जिनका वह सम्मान करता है।” सांसद सौगत रॉय ने प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान हस्तक्षेप करते हुए बताया था कि उचित संबोधन ‘बाबू’ होना चाहिए था, न कि ‘दा’।
पार्टी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “केवल एक सांस्कृतिक निरक्षर ही यह सोच सकता है कि ‘दा’ सम्मानजनक लगता है।” तृणमूल ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह बार-बार बंगाल के सांस्कृतिक प्रतीकों को बेईमानी से इस उम्मीद में हथियाने की कोशिश करती रही है कि इससे उनको राजनीतिक लाभ होगा।
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस टिप्पणी को ‘बंगाल की एक सम्मानित हस्ती का अपमान’ बताया, जिसके लिए उन्होंने भाजपा में ‘बुनियादी सामान्य ज्ञान की कमी’ को जिम्मेदार ठहराया गया। मुख्यमंत्री ने हालांकि केंद्र पर बंगाल का फंड रोकने को लेकर अपना हमला फिर से शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “उन्होंने चार साल से मनरेगा का पैसा रोक रखा है। उन्होंने आवास योजना का फंड रोक दिया है और ग्रामीण सड़क परियोजनाओं को रोक दिया है।”
सुश्री बनर्जी ने पूछा, “2011 से, हमने 100 दिन के काम के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। क्या अच्छा काम करना अपराध है?” उन्होंने आरोप लगाया कि फंड रोके जाने के विरोध में दिल्ली गए पार्टी सांसदों पर सुनवाई के बजाय ‘मामले दर्ज किए गए’। उन्होंने कहा, “वे निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं।”
सोमवार को ‘बंकिम दा’ टिप्पणी को लेकर सांस्कृतिक विवाद शुरू होने और मंगलवार को मुख्यमंत्री द्वारा इसकी आलोचना ने बंगाल के पहले से ही गरमाए राजनीतिक परिदृश्य में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

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