इंदौर: कलेक्टर ने जिले की सीमा में डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए है. यह बात अलग है कि उक्त आदेश पूर्व कलेक्टर ने भी पिछले साल जारी किए थे और पूरे शहर में डीजे का जमकर उपयोग हो किया जा रहा था. खास बात यह है कि पूर्व कलेक्टर के आदेश का पालन पुलिस ने करवाना उचित नहीं समझा था.
कलेक्टर शहर में कई मामले में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते है, लेकिन उनका पालन करवाना किसकी जिम्मेदारी है, यह तय नहीं करते है.
बस आदेश जारी कर दिए जाते है. इस बार जिला कलेक्टर शिवम वर्मा ने राजस्व सीमा में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु ध्वनि विस्तारक यंत्रों के अनियंत्रित व नियम विरूद्ध प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है. उक्त प्रतिबंध नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत आदेश जारी किए गए हैं. उक्त आदेश तत्काल प्रभावशील होकर 30 जनवरी 2026 तक प्रभावशील रहेगा.
साथ ही उक्त आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आएगा. सवाल यह है कि उक्त आदेश के उल्लंघन और अपराध पर करवाई कौन करेगा? याद रहे कि पिछले साल तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने भी डीजे पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे. शहर में आदेश के तीसरे ही दिन से जमकर डीजे बजना शुरू हो गए थे, जो आज तक बजाए जा रहे है. शहर के धार्मिक हो या सामाजिक सब जगह कान फाडू डीजे बजाते है। यही स्थिति राजनीतिक आयोजन की रहती है. शादी ब्याह में जब्त भी नहीं करते है. डीजे संचालकों पर कारवाई नहीं होती है. क्यों?
कार्रवाई से हाथ बांधकर रखते हैं
कलेक्टर आदेश तो जारी करते है लेकिन कार्रवाई से हाथ बांध कर रखते हैं. इससे बढ़कर जनप्रतिनिधियों का हर मामले हस्तक्षेप, जरा सा कुछ कारवाई हुई नहीं की हिंदू मुस्लिम से जोड़कर अधिकारियों को डराना या फिर वैसी बात करना के खजराना या चंदन नगर जाकर कार्रवाई करके बताओ? उक्त स्तर के बयान मीडिया को दिए जाते है. इन सबसे निपटेगा कौन?
हवाला राष्ट्रीय हरित अधिकरण एवं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली द्वारा भी समय-समय पर ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु जारी निर्देश का दिया जाता हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़े निर्देश जारी किए हैं. उसका पालन कौन करवाता है? कोई नहीं. खैर, अब नए कलेक्टर और नए आदेश. पालन कितना होगा या नहीं होगा? सड़क पर चलने के दौरान पता चलेगा
