आर्थिक जरूरत नहीं होने पर शादीशुदा बेटी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस दीपक खोत ने अपने अहम आदेश में कहा है कि आर्थिक मदद की जरूरत नहीं होने के कारण शादीशुदा बेटी को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए दया पूर्वक विचार नहीं किया जा सकता है। मृतक कर्मचारी के परिवार के अन्य सदस्य भी किसी भी प्रकार से शादीशुदा बेटी पर निर्भर नहीं है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के शादीशुदा बेटी की तरफ से दायर की गयी याचिका को खारिज कर दिया।

छिंदवाड़ा निवासी अनु पाल की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनकी मां मूला देवी वेस्टन कोल लिमिटेड में कार्यरत थी। जिनकी 7 नवम्बर 2017 को मृत्यु हो गयी। जिसके बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दायर किया था, जिसे उसके शादीशुदा होने के कारण अस्वीकार कर दिया गया।

वेस्टन कोल लिमिटेड की तरफ से बताया गया कि शादीशुदा होने के कारण याचिकाकर्ता का आवेदन निरस्त नही किया गया है। याचिकाकर्ता शादीशुदा है और उसका पति डब्ल्यूसीएल में कार्यरत है। इसके अलावा उनकी दोनों बहनों ने भी याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं प्रदान करने के संबंध में प्राधिकरण के समक्ष अपने बयान दर्ज कराया है।

एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि मामले के तथ्यों के अनुसार महिला कर्मचारी की मृत्यु लगभग आठ साल पूर्व हुई थी। याचिकाकर्ता के पक्ष में दया के आधार पर विचार करने की कोई आर्थिक ज़रूरत नहीं है। याचिकाकर्ता एक शादीशुदा महिला है और उसका अपना परिवार है और पति को अनावेदक कंपनी में नौकरी करते है। आर्थिक मदद के लिए उसे नौकरी की ज़रूरत नहीं है। इसके अलावा ऐसे एक भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये गये है,जिससे साबित हो सके की मृतक के परिवार का सदस्य याचिकाकर्ता पर निर्भर है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

Next Post

वादा कर भूली सरकार, भवन निर्माण अधूरा: अधिवक्ता संघ 

Tue Nov 18 , 2025
जबलपुर । मप्र उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ ने मंगलवार को राज्य सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया। मप्र उ. न्या. अधिवक्ता संघ के सचिव पारितोष त्रिवेदी ने बताया कि इसी वर्ष विगत 4 मई को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 116 करोड़ रुपए की लागत से अधिवक्ताओं के बैठने हेतु […]

You May Like