
जबलपुर। दमोह जिले के ग्राम सतरिया में मंदिर के अंदर ओबीसी वर्ग के युवक से पैर धुलवाकर गंदा पानी पीने के मजबूर करने वाले पांच आरोपियों के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश का परिपालन करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही की गयी है। कलेक्टर व दमोह पुलिस अधीक्षक के द्वारा उक्त जानकारी हलफनामा में जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस ए के सिंह की युगलपीठ के समक्ष पेश की गयी। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान घटना का वीडियो तथा खबर प्रकाशित करने वाले मीडिया हाउस को फ्रेश नोटिस जारी करने के निर्देश दिये ।
गौरतलब है कि दमोह जिले के ग्राम सतरिया स्थित मंदिर के अंदर ओबीसी वर्ग के युवक से पैर धुलवाकर गंदा पानी पीने के मजबूर किये जाने की घटना की खबर वीडियो सहित मीडिया में प्रकाशित हुई थी। हाईकोर्ट ने खबर को संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के आदेश दिये थे। हाईकोर्ट याचिका की सुनवाई करते अपने आदेश में कहा था कि मध्य प्रदेश में बार-बार होने वाली जाति संबंधित हिंसा व भेदभाव पूर्ण कार्यवाही स्तब्ध करने वाली है। ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सभी अपनी स्वतंत्र पहचान का दावा कर रहे है। इस पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो डेढ़ सदी के भीतर खुद को हिन्दू कहने वाले लोग आपस में लडक़र अस्तित्वहीन हो जायेंगे। न्यायालय आमतौर पर आरोपियों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्यवाही के आदेश नहीं देता है, यह कार्यपालिका का विवेकाधिकार है। पीड़ित जिस समुदाय से आता है, घटना के कारण उस वर्ग के लोगों में आक्रोश के कारण तुरंत कार्यवाही नही की गयी तो हालात हिंसा की ओर बढ़ सकते है। जिसके बाद पुलिस की कार्यवाही अप्रभावी हो जाएगी और सार्वजनिक व्यवस्था भंग हो सकती है। जातिगत कटुता और भेदभाव अपने चरम पर पहुंचे इसके पहले आरोपियों के खिलाफ दमोह पुलिस एनएसए की कार्यवाही करें।
याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान पेश किये गये हलफनामा में उक्त जानकारी पेश की गयी। घटना गंभीर थी और दो समुदाय के बीच तनाव की स्थिति बन सकती थी। इसके अलावा बताया गया कि सरपंच व सचिव के खिलाफ भी विधि अनुसार कार्यवाही की जा रही है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद खबर प्रकाशित करने वाले मीडिया हाउस को फ्रेश नोटिस जारी करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को निर्धारित की गयी है।
