यात्री हो रहे परेशान, व्यापारियों को रोजगार की चिंता

इंदौर:शासन-प्रशासन आज जन सुविधा के लिए अस्थाई सुविधाएं लाती है. फिर उसे बंद कर दिया जाता है. इसके फलस्वरूप यह होता है कि लोगों को कई समस्याओं का समान करना पड़ता है और उससे जुड़े व्यापारी भी बेरोज़गारी जैसी मार झेलते है.मामला नवलखा अस्थाई बस स्टैंड से जुड़ा हुआ है. करीब पच्चीस वर्ष पहले यहां लोगों की सुविधा के लिए अस्थाई बस स्टैंड संचालित किया गया था.

यहां से होशंगाबाद, बैतुल बड़ी लाईनों के अलावा कमलापुर, हाट पिपलिया, खातेगांव, कन्ंनौद जैसी छोटी लाईन की बसे आया-जाया करती थी. इनमें व्यापारियों के साथ इंदौर में रोज़ मज़दूरी करने वाले भी बड़ी संख्या में आया करते थे. बस स्टैंड से कई व्यापार भी जुड़े हुए थे. हाल ही में इस बस स्टैंड को बंद कर नये आरटीओ कार्यालय के पास से बसों को संचालित कर दिया गया है.

इससे हुआ कुछ यूं कि जो यात्री पचास रूपए देकर शहर के अंदर आ जाता था अब उसे नवलखा तक आने के लिए बीस से लेकर डेढ़ सौ रूपए अलग से चुकाने पड़ रहे हैं. इससे जुड़े कई व्यापार पर बुरा असर पड़ चुका है. ग्राहक होटलों दुकानों से नदारद हो गए हैं. व्यापारी मंदी की मार झेल रहे हैं. दूर-दराज़ से रोज़ आने वाले नौकरीपेशा लोग परेशान हो रहे हैं. अस्थाई बस स्टैंड पर सन्नाटा पसरा पड़ा हुआ है. बस स्टैंड को स्थाई करने और स्थानांतरण न करने के लिए कई कवायदें भी की गई लेकिन शासन-प्रशासन ने अपने मन की कर यह स्थान अब आई बस के नाम कर दिया है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि अब यहां कौन से आस्थाई योजना लाई जाएगी.

इनका कहना है
यात्री कम होने से आई बस लेट चलती है और रात में बंद हो जाती है. ऑटो वाले नए बस स्टेंड से नवलखा तक दौ-ढाई सौ रूपए लेते हैं. यात्री बहुत परेशान हो रहे हैं.
– संदीप गुहांदे, स्थानीय नागरिक
पचास रूपए लगते थे. अब नवलखा तक बीस रूपए मैजिक में देना पड़ते हैं. दो पैसे कमाने के लिए हर दिन नौकरी करने आते हैं. किराया तो बढ़ा ही, समय भी लग रहा है.
– दीपक सेन, डबलचौकी
पच्चीस वर्ष पहले प्रशासन ने पेपर में विज्ञापन दिया था कि व्यापारियों को कमाने का सुनहरी मौका. अब यहां तीन सौ दुकाने बंद होने के कगार पर है. कई परिवार बेरोज़गार हो चुके हंै.
– किशोर चौरसिया

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