इटारसी। यहां से लगभग 30 किलोमीटर दूर छीतापुरा ग्राम पंचायत में रविवार को देवी खेड़ापति मैया परिवार की बैठक आयोजित हुई। इसमें सेंट्रल प्रूफ एस्टेब्लिशमेंट (CPE) के ‘प्रूफरेंज’ विस्तार प्रस्ताव का ग्रामीणों ने पुरजोर विरोध किया। बैठक में महिला प्रतिनिधियों सहित लगभग 300 ग्रामीण शामिल हुए।
ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे अपनी जल, जंगल, जमीन, खेती और जन्मभूमि किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगे। उनका कहना था कि यदि सरकार प्रूफरेंज का विस्तार करना ही चाहती है तो देश में किसी अन्य स्थान पर परियोजना शुरू करे, लेकिन उनके क्षेत्र में नहीं।
ग्रामवासियों ने आपत्ति जताई कि केसला क्षेत्र आदिवासी विकासखंड है, जो पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून के अंतर्गत आता है, फिर भी ग्राम सभा की अनुमति के बिना निर्णय लिया गया।
प्रतिनिधियों ने बताया कि 1968-69 से यहां के लोग कई बार सरकारी परियोजनाओं के कारण विस्थापन झेल चुके हैं, जिसकी मार उनकी तीसरी पीढ़ी तक महसूस कर रही है। कई लोग आज भी रोज़ी-मजदूरी कर गुजर-बसर करने को मजबूर हैं। उनका कहना था कि यदि फिर विस्थापन हुआ तो उनका परिवार और समाज दोनों खत्म हो जाएंगे।
बैठक में ग्रामीणों ने सांसद दर्शन सिंह चौधरी द्वारा रक्षा मंत्री को भेजे गए प्रूफरेंज विस्तार प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए उसे वापस लेने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि प्रस्ताव नहीं लौटा तो वे सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ संघर्ष करेंगे। अंत में, ग्रामीणों ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया।
