नई दिल्ली:भारत में अक्टूबर के साथ धान की कटाई का समय नज़दीक आ रहा है। लेकिन इस बार किसान बढ़ते तापमान, अस्थिर मानसून और अधिक नमी के कारण कीटों और फफूंदीजनित रोगों से ज्यादा परेशान हैं। ये चुनौतियाँ न केवल पैदावार बल्कि धान की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रही हैं। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल फसल सुरक्षा उपाय अपनाना बेहद ज़रूरी हो गया है। धानुका एग्रीटेक किसानों को इसी दिशा में सशक्त बना रहा है।
अनियमित वर्षा से कभी खेतों में पानी भर जाता है तो कभी सूखे हालात बन जाते हैं। ऐसे में AWD सिंचाई, लेज़र लैंड लेवलिंग और मजबूत मेढ़बंदी जैसे उपाय पानी की बचत के साथ-साथ नमी का संतुलन बनाए रखते हैं और कीट प्रकोप घटाते हैं। इसके साथ ही डिजिटल सलाह, सेंसर आधारित निगरानी और ड्रोन छिड़काव जैसे तकनीकी उपाय किसानों को सटीक और समय पर समाधान उपलब्ध कराते हैं।
धानुका एग्रीटेक बायोपेस्टिसाइड्स, सिस्टमिक कीटनाशक, फफूंदनाशी और मिट्टी सुधारकों का समन्वित उपयोग सुझाता है ताकि फसल को सुरक्षित और टिकाऊ संरक्षण मिल सके। धान पकने के समय तना छेदक, ब्राउन प्लांट हॉपर, गॉल मिज, लीफ फोल्डर जैसे कीट और ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट व बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट जैसी बीमारियों से बचाव हेतु आईपीएम (IPM) अपनाना जरूरी है। फेरोमोन व लाइट ट्रैप से शुरुआती पहचान, नीम व सूक्ष्मजीव आधारित उत्पाद से प्राकृतिक नियंत्रण तथा दोहरी क्षमता वाले फफूंदनाशियों का उपयोग फसल को बड़ा नुकसान होने से बचाता है।
साथ ही, स्वस्थ मिट्टी ही मजबूत फसल की नींव है। हरी खाद, बायोफर्टिलाइज़र और ऑर्गेनिक खाद मिट्टी की उर्वरता और सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाते हैं। जिंक और आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व बालियों के बंझपन को रोकते हैं और दानों की भराई को सुधारते हैं। बदलते मौसम को देखते हुए जलवायु-सहनशील धान किस्मों का चुनाव भी किसानों के लिए लाभकारी है।इन उपायों से किसान अपनी फसल को कीट और मौसम की मार से बचाकर अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता वाली उपज हासिल कर सकते हैं।
