
उज्जैन। सोमवार को भगवान महाकाल की राजसी सवारी भादौ की तेज बारिश के बीच निकली। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सवारी में शामिल हुए। उन्होंने महाकाल मंदिर पहुंचकर पूजन किया। सवारी में डमरू बजाते हुए पैदल शामिल हुए। राजाधिराज महाकाल ने लाखों भक्तों को 6 रूपों में दिव्य दर्शन देकर अभिभूत किया। शिप्रा के रामघाट पर हेलीकॉप्टर से सवारी पर पुष्प वर्षा की गई।
सवारी मार्ग पर कई घंटों पहले से लोग बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए खड़े थे। जैसे ही पालकी आई जय महाकाल के उद्घोष से संपूर्ण मार्ग गूंज उठा। सवारी शुरू होने से पहले ही मार्ग में भजन मंडलियां डीजे, ढोल व बैंड के साथ झूमते-गाते हुए निकलने लगी। सवारी में साधु, संत, आम भक्त से लेकर पंडे-पुजारी सब भगवान महाकाल की भक्ति में लीन होकर निकले। बाबा की पालकी मंदिर से निकलती इसके पहले ही इंद्र देवता ने स्वागत करते हुए तेज बारिश शुरू कर दी और राजाधिराज के लिए संपूर्ण मार्ग की पानी से धुलाई की। हजारों-लाखों भक्तों ने भी मार्ग में भीगते हुए ही राजसी सवारी का आनंद लिया। मंदिर के सभामंडप में दोपहर करीब साढ़े 3 बजे शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु ने मंत्रोच्चार कर पूजन शुरू कराया। प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल भी पूजन में शामिल हुए। इसके बाद पुजारियों ने चंद्रमौलेश्वर की मुख्य प्रतिमा को चांदी की पालकी में विराजित किया। इसके बाद कहारों ने पालकी उठाई और जयकारों के बीच मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंची जहां सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर महाकाल को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया।श्रावण-भादौ मास की यह छठी सवारी होने से महाकाल ने छ: रूपों में दर्शन दिए। पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिव तांडव, नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होलकर स्टेट और एक अन्य रथ पर सप्तधान रूप में महाकाल निकले। महाकाल मंदिर प्रांगण में ड्रोन से पालकी पर गुलाब के फूलों की वर्षा की गई।
