नयी दिल्ली, 26 जुलाई (वार्ता) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत और ब्रिटेन के बीच कर्मचारियों के ईपीएफ में दोहरे योगदान से बचाव के समझौते को दोनों देशों के बीच हुए व्यापक आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (भारत-ब्रिटेन सेटा) का एक बड़ा अहम पहलू बताया और कहा कि यह सेवा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता और कर्मचारियों दोनों के लिए बड़े लाभ का समझौता है।
श्री गोयल ने शनिवार को यहां कहा कि ‘डब्ल कांट्रिब्यूशन कन्वेशन’ ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते का एक बड़ा अहम हिस्सा है। इसके तहत कंपनी के काम से ब्रिटेन जाने वाले कर्मचारी को वहां सामाजिक सुरक्षा कोष में पहले तीन साल तक योगदान नहीं करना होगा।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि फिलहाल भारतीय कंपनियों की ओर से ब्रिटेन में काम के लिए भेजे जाने वाले कर्मचारियों की आय का 25 प्रतिशत हिस्सा वहां के पेंशन फंड (भारत के ईपीएफ कोष जैसी योजना) में चला जाता है। इसमें 12.5 प्रतिशत योगदान कर्मचारी और इतना ही कंपनी की ओर से दिया जाता है।
उन्होंने कहा , ‘‘कम अवधि के लिए वहां काम करने वाले कर्मचारियों का बड़ा पैसा व्यर्थ चला जाता है, क्योंकि लगातार 10 साल के योगदान के बाद ही वे उसे निकाल सकते थे। नया समझौता लागू होने पर भारतीय सेवा कंपनी की ओर से ब्रिटेन में काम करने गये कर्मी के वेतन से वहां के सामाजिक सुरक्षा कोष में अंशदान के लिए तीन साल तक कटौती नहीं होगी। उनका पैसा भारत में ही ईपीएफओ में जाएगा और वे उस पर 8.25 प्रतिशत का ब्याज भी कमाएंगे।’’
श्री गोयल ने कहा, ‘‘इससे सेवा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों की लागत कम होगी और कर्मचारियों को भी नुकसान नहींं होगा।’’ उन्होंने कहा कि इस समय ब्रिटेन के सेवा क्षेत्र में भारत के करीब एक लाख कर्मचारी कार्यरत हैं।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इस समझौते के बाद भारत की सेवा क्षेत्र की कंपनियां ब्रिटेन में और प्रतिस्पर्धी दर पर अपनी सेवाएं दे सकेंगी। उन्होंने कहा कि देश के निर्यात में सेवा क्षेत्र का बड़ा महत्व है। पिछले वित्त वर्ष में सेवाओं के निर्यात में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।
‘भारत-ब्रिटेन सेटा’ ब्रिटेन की संसद की मंजूरी की औपचारिकता के बाद लागू हो जाएगा। इस समझौते के अंतर्गत भारत से निर्यात होने वाले 99 प्रतिशत माल पर वहां आयात शुल्क शून्य या बहुत कम हो जाएगा। इससे कपड़ा, चमड़ा, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों का निर्यात बढ़ने की संभावना है जो ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं।
भारत और ब्रिटेन का मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार करीब 56 अरब डॉलर का है। इस समझौते के बाद 2030 तक इसके 112 अरब डॉलर वार्षिक तक पहुंचने की उम्मीद है।
