रेलवे पुलिस ने संवेदनशीलता पर कराया प्रशिक्षण कमजोर वर्गों के अधिकारों व व्यवहारिक पुलिसिंग का मिला ज्ञान

इंदौर. पुलिस अधीक्षक कार्यालय स्थित सभागृह में अनुसूचित जाति-जनजाति जैसे समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता को लेकर रेलवे पुलिस इंदौर ने एक दिवसीय इकाई स्तरीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया. जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे.

पुलिस अधीक्षक रेल संतोष कोरी के निर्देश पर, उप पुलिस अधीक्षक ज्योति शर्मा के मार्गदर्शन में पुलिस अधीक्षक रेल कार्यालय स्थित सभागृह में सम्पन्न हुआ. प्रशिक्षण का शुभारंभ पुलिस अधीक्षक अजाक शेर सिंह भूरिया ने किया. इसमें जीआरपी इंदौर के सभी थानों और चौकियों से चयनित 35 अधिकारियों और कर्मचारियों आरक्षक से निरीक्षक स्तर तक ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में अनुभवी विशेषज्ञों ने संवेदनशीलता से जुड़ी बारीकियों, कानूनी प्रक्रियाओं और व्यवहारिक पुलिसिंग की चुनौतियों पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया. प्रशिक्षण के दौरान पैनल में शामिल विशेषज्ञों ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 एवं उसके संशोधनों, पंचनामा की कानूनी प्रक्रिया, जब्ती के दौरान अपनाई जाने वाली सावधानियों, केस डायरी, चालान प्रस्तुत करने की विधि, अपराध अनुसंधान की व्यावहारिक कठिनाइयों और अंतरराज्यीय कार्रवाई की जटिलताओं पर विस्तृत चर्चा की. साथ ही फोरेंसिक साइंस की उपयोगिता, संवाद कौशल, पीड़ितों से संवेदनशीलता के साथ बातचीत करने के तरीके और शासन की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गई. प्रशिक्षण में केस स्टडी और वास्तविक उदाहरणों से अधिकारियों को ना सिर्फ कानून की जानकारी दी गई, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से पुलिसिंग के महत्व को भी रेखांकित किया.

विशेषज्ञ वक्ताओं में शामिल रहे:

सहायक लोक अभियोजन अधिकारी सुशीला राठौर, जिला लोक अभियोजन अधिकारी राजेन्द्र भदौरिया, सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता तनुज दीक्षित, संभागीय उपायुक्त जनजातीय कार्य विभाग बृजेश पांडे, फॉरेंसिक ऑफिसर अविनाशचंद्र पुरी, तथा सेज यूनिवर्सिटी इंदौर से रचना जोहरी और अभिषेक सिसोदिया. समापन सत्र में पुलिस अधीक्षक रेल संतोष कोरी ने कहा कि यह प्रशिक्षण न सिर्फ कानूनी ज्ञान का स्रोत रहा, बल्कि इससे यह भी समझ में आया कि पुलिस का काम सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना भी है. जब पुलिसकर्मी संवेदनशीलता, निष्पक्षता और सहानुभूति के साथ काम करेंगे, तभी कमजोर वर्गों को न्याय व सम्मान का अहसास हो सकेगा. उन्होंने सभी विशेषज्ञों, प्रतिभागियों और आयोजक टीम को सफल आयोजन के लिए बधाई दी और ऐसे प्रशिक्षण सत्रों को निरंतर जारी रखने की आवश्यकता बताई.

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