नयी दिल्ली, 10 जुलाई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय हत्या के एक मामले में केरल निवासी नर्स निमिषा प्रिया की यमन में 16 जुलाई को निर्धारित फांसी की सजा पर रोक और उसकी रिहाई के लिए केंद्र सरकार को कूटनीतिक प्रयास करने का निर्देश देने की मांग संबंधी एक याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगी।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की आंशिक कार्य दिवस पीठ ने ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ नामक एक संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रागेंथ बसंत के शीघ्र सुनवाई के अनुरोध के बाद संबंधित याचिका को (14 जुलाई के लिए) सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
अधिवक्ता बसंत ने ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान अदालत से यह अनुरोध किया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि शरीयत कानून के अनुसार, अगर पीड़ितों के रिश्तेदार ‘रक्तदान’ स्वीकार करने को तैयार हों, तो किसी व्यक्ति को रिहा किया जा सकता है और इस विकल्प पर बातचीत की जा सकती है।
उन्होंने आग्रह करते हुए अदालत के समक्ष कहा, “कृपया आज या कल सूचीबद्ध करें, क्योंकि 16 जुलाई फांसी की तारीख है। राजनयिक माध्यम से भी समय की आवश्यकता होती है।”
याचिका में फांसी पर रोक और रिहाई करने के लिए भारत सरकार से कूटनीतिक बातचीत के जरिए प्रयास करने की गुहार लगायी गई है।
पीठ की ओर से न्यायमूर्ति धूलिया ने अधिवक्ता से पूछा कि उस व्यक्ति को मौत की सज़ा क्यों सुनाई गई। इस पर श्री बसंत ने जवाब दिया, “निमिषा (नर्स) केरल की रहने वाली एक भारतीय नागरिक है। वह वहाँ नर्स की नौकरी के लिए गयी थी। स्थानीय व्यक्ति ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया और उसकी (यमन के एक व्यक्ति) हत्या कर दी गई।”
निमिषा को वर्ष 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सज़ा सुनाई गई थी। निमिषा ने कथित तौर पर अपने पासपोर्ट को वापस पाने के लिए महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया था। निमिषा को कथित तौर पर महदी द्वारा दुर्व्यवहार और यातना का सामना करना पड़ा था।
इससे पहले निमिषा की माँ ने उसकी रिहाई के प्रयास के लिए यमन जाने की अनुमति दिल्ली उच्च न्यायालय से मांगी थी। उनकी इस उस याचिका पर केंद्र सरकार ने नवंबर 2023 में उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि यमन के सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी अपील खारिज कर दी है।

