ट्रंप की 200% टैरिफ की धमकी के बावजूद भारतीय फार्मा शेयरों में उछाल जारी: निवेशक बेफिक्र, निफ्टी फार्मा में बढ़त; भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीद भी बनी वजह

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी दवा आयातों पर 200 फीसदी तक शुल्क लगाने की दी चेतावनी, पर निवेशकों ने की अनदेखी; भारतीय फार्मा उद्योग को नए अवसरों की उम्मीद।

मुंबई, 9 जुलाई, 2025 (नवभारत): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी दवा आयातों पर 200 फीसदी तक का टैरिफ (शुल्क) लगाने की धमकी के बावजूद, आज भारतीय दवा कंपनियों के शेयरों में जोरदार बढ़त दर्ज की गई। निवेशकों ने ट्रंप की इस टिप्पणी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने भारतीय फार्मा उद्योग में संभावित नए अवसरों को भुनाने पर ध्यान केंद्रित किया। निफ्टी फार्मा इंडेक्स आज 0.4 फीसदी की बढ़त के साथ 22,252.50 पर कारोबार कर रहा है, जो बाजार के विश्लेषकों को भी हैरान कर रहा है।

ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि वह विदेशी दवाओं पर 200 फीसदी तक टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं, ताकि फार्मा कंपनियों को अमेरिका में ही उत्पादन करने के लिए मजबूर किया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कंपनियां अमेरिका में निर्माण नहीं करती हैं, तो यह टैरिफ एक साल के भीतर लागू हो सकता है। इसके बावजूद, ल्यूपिन, बायोकॉन, अरबिंदो फार्मा और लॉरस लैब्स जैसे प्रमुख फार्मा शेयरों में 1.5 फीसदी तक की उछाल देखी गई, जिससे निफ्टी फार्मा इंडेक्स को मजबूती मिली। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह धमकी व्यापारिक बातचीत का एक हिस्सा हो सकती है, और भारत को अमेरिका के साथ एक नए व्यापार समझौते की उम्मीद है, जो इन शुल्कों को संतुलित कर सकता है या हटा सकता है।

टैरिफ के बावजूद तेजी के कारण: भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की आशा और घरेलू मांग

भारतीय फार्मा शेयरों में इस तेजी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि निवेशकों को उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार समझौता अब उन्नत चरण में है और जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है।

यदि ऐसा होता है, तो यह भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में नई संभावनाएं खोलेगा और टैरिफ के संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम करेगा। इसके अलावा, भारतीय फार्मा कंपनियों की मजबूत विनिर्माण क्षमता, कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करने की उनकी क्षमता, और घरेलू बाजार में बढ़ती स्वास्थ्य सेवा की मांग भी इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक कारक साबित हो रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यदि टैरिफ लागू भी होते हैं, तो बड़ी भारतीय फार्मा कंपनियां अपनी बातचीत की शक्ति बढ़ाने के लिए एकजुट हो सकती हैं, लेकिन उनके बाजार से बाहर निकलने की संभावना कम है।

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