भय बिनु होय ना प्रीत

एयर फोर्स के मिलट्री ऑपरेशन के डीजी एयर मार्शल एके भारती जब राम चरित्र मानस की एक चौपाई “भय बिनु होय ना प्रीत” सुनाते हुए पाक सेना पर भारत द्वारा निरंतर बनाए गए दवाब का उल्लेख कर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर किए गए करारे हमलों को तफसील से बताते हैं तो हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। देशवासियों का यह विश्वास भी मजबूत होता है कि भारत की बहादुर सेना पाक की सेना के असली चेहरे से न सिर्फ बखूबी वाकिफ है बल्कि उसकी अक्षम्य हरकतों के लिए मुंहतोड़ जवाब देने हर पल तत्पर है। पाक सेना के जनरल सैयद असीम मुनीर और उनकी सेना में बैठे पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड अफसरों को अब यह बात अच्छी तरह सोच और समझ लेना चाहिए कि यदि पहलगाम जैसी नृशंस और अमानवीय घटना की पुनरावृत्ति हुई तो पाक को बुरी तरह पछताना पड़ेगा।

पाक सेना को यह खैर मनाना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकी ठिकानों के साथ पाक के सैन्य ठिकानों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाने वाली हमारी सेना ने पाक के परमाणु ठिकानों को बख्श दिया। भारत यह पहले ही साफ कर चुका है कि ऑपरेशन सिंदूर पाक की सरजमीं से भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित करने वाली दहशतगर्द जमातों और तंजीमों को मिट्टी में मिलाने के लिए शुरू किया गया था लेकिन जब पाक सेना और वहां के राजनेताओं ने भारतीय कार्यवाई में मारे गए आतंकियों के प्रति हमदर्दी और हमकदमी दिखाई तो पाक के सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाना पड़ा। भारतीय सेना के पास पाक के परमाणु ठिकानों के बारे में पूरी जानकारी थी लेकिन भारतीय सेना इन पर निशाना साधने से बची क्योंकि आम जनता को नुकसान पहुंचाना ऑपरेशन सिंदूर का मकसद था ही नहीं।

इसके बावजूद पराजित और पस्त हुआ पाकिस्तान सरगोधा से सटी किराना हिल्स पर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से हमला करने की न सिर्फ भारत पर तोहमत मढ़ रहा है बल्कि कथित भारतीय हमले के बाद किराना हिल्स से रेडिएशन फैलने का दावा कर दुनिया के सामने खुद को निरीह और पड़ोसी द्वारा प्रताडि़त किए जाने का ढोंग भी कर रहा है। खबर तो यह भी आई है कि पाक के कुप्रचार पर विश्वास कर अमेरिका किराना हिल्स पर कथित रेडिएशन की जांच के लिए अपनी टीम भेज रहा है। भारतीय सेना साफ कर चुकी है कि न तो उसे सरगोधा की किराना हिल्स पर पाक का एटॉमिक सेंटर होने की जानकारी है और न भारत ने वहां कोई मिसाइल फेंकी है।

इस प्रसंग का उल्लेख हमने यहां यह इंगित करने के लिए किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाक बुरी तरह डरा हुआ है। वह न सिर्फ अमेरिका से मध्यस्थता के लिए कह रहा है बल्कि भारत पर दवाब बनाने के लिए यह कहकर रूस को भी खुश करने में जुटा है कि आठवें नवें दशक में काबुल में सोवियत सेनाओं की मौजूदगी के समय पश्चिम ने पाक की धरती का बेजा इस्तेमाल किया। कहने का लुब्बोलुआब यह है कि भारत में आतंकी गतिविधियों पर लगाम और कश्मीर व पंजाब जैसे सरहदी राज्यों में अमन चैन तभी मुनासिब है जब पाक इसी तरह भयभीत बना रहे। हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका से कह ही चुके हैं कि पाक की गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा और हर आतंकी हिमाकत को “एक्ट ऑफ वार” माना जाएगा।

 

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