तालिबान की दमनकारी नीतियों के कारण 92 करोड डालर का नुकसान होने का अनुमान

काबुल, 1 मई (वार्ता) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने चेताया है कि अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं के अधिकारों की दमनकारी नीतियों से जनित प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2026 तक लगभग 92 करोड़ डालर का नुकसान होने का अनुमान है जो अफगानिस्तान में बिगड़ते आर्थिक संकट को उजागर करता है।

खामा न्यूज के अनुसार यूएनडीपी ने कल यहां जारी एक रिपोर्ट में जोर देकर कहा कि यह संकट सामाजिक असमानताओं को बढ़ा रहा है जिसके कारण विशेष रूप से महिलाओं की स्थिति बिगड़ रही है। तालिबान द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंध जारी रहने के कारण कई लोग देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक दीर्घकालिक प्रभावों से डरते हैं।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था कुछ हद तक ठीक होने के बावजूद अभी भी अविश्वसनीय रूप से खराब स्थिति में है जो आयात और अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर बहुत अधिक निर्भर है। यह निर्भरता देश को बाहरी झटकों और आंतरिक नीतियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना रही है जो आर्थिक एवं सामान्य विकास को सीमित करती हैं।

महिलाओं के अधिकारों के संबंध में तालिबान शासन पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मांगों ने आर्थिक स्थिति को और खराब कर दिया है क्योंकि संगठनों ने देश को अपनी सहायता कम कर दी है जिससे अफगान जनता के लिए विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं।

यूएनडीपी ने बढ़ती असमानताओं के साथ गहराते सामाजिक-आर्थिक संकट की भी चेतावनी दी है। उसने बताया कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा निर्वाह-असुरक्षित है और मानवीय ज़रूरतें बहुत ज़्यादा हैं। सहायता के लिए धन की कमी ने संकट को और बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि 90% से ज़्यादा अफ़गान परिवार उत्पादक संपत्तियों, आजीविका के स्रोतों, नौकरियों और आय के अवसरों के नुकसान का सामना कर रहे हैं। नतीजतन कई परिवारों को जीवित रहने के लिए अपने दैनिक उपभोग में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

तालिबान शासन के कारण देश की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है और महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ गए हैं जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अफ़गानिस्तान के भविष्य की स्थिरता और विकास पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चेतावनी दी है।

यूएनडीपी की रिपोर्ट अफ़गानिस्तान में गहराते आर्थिक संकट को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के बिना देश में खासकर महिलाओ और बच्चो सहित इसकी सबसे कमजोर आबादी को अस्थिरता की लंबी अवधि का सामना करना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2024 में ‘ ह्यूमन राइट्स वॉच’ (एचआरडब्ल्यू )की एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान ने निजी क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार पर नकेल कसने का आदेश दिया था जिसमें 60,000 महिलाओं की नौकरियों की बलि देकर सभी ब्यूटी सैलून बंद करने का आदेश देना शामिल था।

इस बीच अफ़गानिस्तान के लिंग-भेद वाले समाज में अगर महिला कर्मचारी महिलाओं को सहायता देने के लिए मौजूद नहीं हैं तो उन्हें बिना सहायता के काम करना पड़ता है। महिलाएं भोजन तक की बुनियादी जरूरत के अलावा पार्क में टहलने, खेलने या प्रकृति का आनंद लेने के मौके से भी वंचित हैं1

इन उल्लंघनों का विरोध करने वाली महिलाओं को जबरन गायब कर दिया जाना, मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जाना और यातना सहित भयानक परिणामों का सामना करना पड़ता है। तालिबान द्वारा महिलाओं को हिरासत और रिहाई के दौरान धमकियों, मारपीट और अपमानजनक स्थितियों के साथ साथ सतत और कम रिपोर्ट की गई गलत घटनाओं जैसे गंभीर दुर्व्यवहार का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। हाल ही में तालिबानी शासन ने महिलाओं और लड़कियों को इस आरोप में व्यापक रूप से हिरासत में लेना शुरू कर दिया है कि उन्होंने ‘उचित हिजाब’ नहीं पहना था।

एचआरडब्ल्यू का कहना है कि अफगानिस्तान में आज महिलाओं और लड़कियों को लगातार नए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण तालिबान अब अपनी विनाशकारी ‘योजना’ पूरा करने के बेहद करीब है।

 

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