खालिस्तान समर्थक जगमीत ने किया अपने पद से इस्तीफे का एलान

ओटावा, 29 अप्रैल (वार्ता) कनाडा में खालिस्तान समर्थक राजनेता एवं न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के प्रमुख जगमीत सिंह ने कनाडाई संघीय चुनावों में हार का सामना करने के बाद घोषणा की है कि वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
सीटीवी न्यूज ने यह जानकारी दी।
चुनावों में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी विजयी हुई। जगमीत ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नबी सेंट्रल सीट से हार गए और उनकी पार्टी को 343 सदस्यीय नयी संसद में केवल सात सीटें मिलीं, जिससे पार्टी ने अपना राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा भी खो दिया।
जगमीत वर्ष 2019 से पार्टी के प्रमुख के पद पर काबिज हैं। उसने अपनी हार के बाद सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा,“एनडीपी का नेतृत्व करना और बर्नबी सेंट्रल के लोगों का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सम्मान रहा है। प्रधानमंत्री कार्नी और अन्य सभी नेताओं को जीत की बधाई। मुझे पता है कि यह रात न्यू डेमोक्रेट्स के लिए निराशाजनक है। मुझे निराशा है कि हम और सीटें नहीं जीत सके लेकिन मैं अपने आंदोलन से निराश नहीं हूं। मैं अपनी पार्टी के लिए आशान्वित हूं। मुझे पता है कि हम हमेशा डर के बजाय आशा को चुनेंगे।”
जगमीत खालिस्तान के मुखर समर्थक रहे हैं और कनाडा में खालिस्तान कार्यकर्ताओं की ओर से अक्सर बोलते रहे हैं।
श्री कैरी ने जस्टिन ट्रूडो का पद संभाला है क्योंकि श्री ट्रूडो ने अपने कार्यकाल के अंत में अपनी पार्टी के उन पर से विश्वास खो देने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
कनाडा का चुनाव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आयात शुल्क धमकियों और देश पर उनके बार-बार हमलों के मद्देनजर लड़ा गया था, जिसमें उन्होंने इसे अमेरिका का 51वां राज्य बताया था।
गौरतलब है कि ग्लोबल न्यूज द्वारा किए गए आईपीएसओएस पोल के अनुसार, लिबरल पार्टी ने सोमवार के चुनावों में चार अंकों की बढ़त हासिल की। ​​यह संघीय चुनाव निर्धारित समय से पहले घोषित किया गया था, क्योंकि नए प्रधानमंत्री बने श्री कार्नी ने संसद को भंग कर दिया था और एक नया जनादेश मांगा था।
श्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत के साथ उनके तनावपूर्ण संबंध रहे विशेष रूप से तब जब उन्होंने यह दावा किया कि एनआइए द्वारा घोषित आतंकवादी हरदीप निज्जर की हत्या में भारतीय सरकार का हाथ था।
श्री मार्क कार्नी ने सार्वजनिक रूप से भारत के साथ बेहतर संबंधों की वकालत की है तथा पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी संवेदनाएं भी भेजी थीं।

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