नयी दिल्ली 23 अप्रैल, (वार्ता) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे और दूरसंचार इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी इंडस टावर्स लिमिटेड ने सतत ऊर्जा क्षेत्र में दो परिवर्तनकारी शोध कार्यक्रमों के लिए समझौता किया है।
कंपनी ने बुधवार को यहां जारी बयान में कहा कि शोध का मुख्य उद्येश्य सौर ऊर्जा उत्पादन और ऊर्जा भंडारण की प्रगति का विस्तार करना होगा ताकि भविष्य के लिए और व्यवहारिक समाधान निर्मित किये जा सके। यह कार्यक्रम इंडस टावर्स के मुख्य सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यक्रम, प्रगति का एक भाग है। वर्तमान में जब जलवायु संबंधी जरूरतें और ऊर्जा की मांग पूरे विश्व की जरूरतों को परिवर्तित कर रही हैं और पूरा विश्व ऊर्जा की स्वच्छ, नई और हरित पद्धति को तेजी से अपना रही है, नवाचार सिर्फ एक विकल्प ही नहीं बल्कि अब यह एक आवश्यकता है।
इंडस टावर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रचुर साह ने कहा, “यह साझेदारी उद्योग और शिक्षाविदों के साथ में मिलकर काम करने का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो अनुसंधान और नवाचार के द्वारा समस्त विश्व में आने वाली चुनौतियों का समाधान करते हैं। पेरोवस्काइट सोलर सेल टेक्नोलॉजी पर शोध और ऊर्जा भंडारण के लिए कृषि अपशिष्ट का उपयोग करना एक बेहतरीन अवधारणा है और यह सतत ऊर्जा समाधानों को आगे ले जाने में आवश्यक सिद्ध हो सकती है। हमें विश्वास है कि इस शोध में स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ने में हमारे दृष्टिकोण में आमूलचूल परिवर्तन लाने की सम्भावना छिपी हुई है।”
पेरोवस्काइट सोलर सेल तकनीक विकसित करने के प्रयास का उद्देश्य पारंपरिक सिलिकॉन फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल्स पर निर्भरता को कम करना है। यह परिवर्तनीय तकनीक वर्तमान में उपलब्ध सेल की लागत को बढ़ाए बिना उच्च दक्षता प्राप्त करने के लिए निर्मित की गई है। इसका जमीन पर और अंतरिक्ष की सौर प्रणालियों में व्यापक उपयोग है, जिसे पूरी तरह से स्वदेशी माध्यम से विकसित किया गया है।
इस साझेदारी के तहत दूसरा कार्यक्रम कृषि अपशिष्ट और ऊर्जा भंडारण की तरफ ध्यान आकर्षित करता है। इस परियोजना का उद्देश्य चावल के भूसे, प्रचुर मात्रा में कृषि अपशिष्ट, को डोप किए गए कठोर कार्बन पदार्थों में परिवर्तित करने के लिए एक समायोजित विधि का विकास करना है। ये सामग्रियाँ सोडियम-आयन बैटरियों में एनोड या एडिटिव्स के रूप में काम करेंगी, जो लिथियम-आयन तकनीक के लिए एक टिकाऊ और लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करती हैं। यह शोध न केवल पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय खतरों को कम करता है, बल्कि स्वदेशी और पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करके देश के स्वच्छ ऊर्जा इकोसिस्टम को भी मजबूत करता है।
आईआईटी बॉम्बे के डीन, एलुमिनी एवं कॉर्पोरेट रिलेशन, प्रो. रवींद्र गुडी ने कहा, “हमारा विश्वास है कि वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए उद्येश्य का होना आवश्यक है। इस तरह की साझेदारी से हम न केवल शोध की सीमाओं को आगे बढ़ाते हैं बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कैसे शिक्षा और उद्योग वर्तमान समय की कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। हम इंडस टावर्स लिमिटेड के आभारी हैं कि उन्होंने ऐसे नवाचार का समर्थन किया है जिसमें सतत ऊर्जा की दिशा में भारत की यात्रा को गति देने की क्षमता है।”
