
रीवा।उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि हाल ही में रीवा में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री के माध्यम से विंध्य क्षेत्र में निवेश के नए और अपार अवसर खुले हैं. जो विंध्य के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे. पतंजलि समूह जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की भागीदारी से इस क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की मजबूत आधारशिला रखी जा सकती है. उप मुख्यमंत्री के अमहिया, रीवा स्थित निज निवास पर पतंजलि योगपीठ के संस्थापक सचिव आचार्य बालकृष्ण ने सौजन्य भेंट की.
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि जैसे हम हरित क्रांति ला रहे हैं, अब विंध्य क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि रीवा क्षेत्र में नेचुरल रिसोर्स के आधार पर सीमेंट प्लांट तो आ ही रहे हैं, लेकिन अगर पतंजलि ग्रुप का फूड प्लांट यहां आ जाता है तो यह 1000 करोड़ रुपये के निवेश का मार्ग खोलेगा, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि जब फूड प्लांट लगते हैं तो किसानों की समृद्धि बढ़ती है, क्योंकि उन्हें पता चलता है कि कौन सी फसल उगाई जाए जिससे उन्हें सीधा आर्थिक लाभ हो. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि 2007 में बाबा रामदेव पहली बार रीवा आए थे, और तभी से उनका रीवा से विशेष स्नेह जुड़ा है. बाबा रामदेव ने बालकृष्ण को बुलाया और कहा कि अब हमें रीवा में फूड प्लांट लगाना चाहिए. पतंजलि ने अब 25 करोड़ रुपये जमा कर जमीन की रजिस्ट्री भी करवा ली है, जिससे स्पष्ट है कि अब उनकी रूचि रीवा में है. बालकृष्ण स्वत: साइट देखने भी गए. उप मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि इस फूड प्लांट से धरती से दौलत पैदा होगी. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन को दोहराते हुए कहा कि देश को समृद्धशाली बनाना है तो धरती से दौलत पैदा करनी होगी. उपमुख्यमंत्री ने कहा, पतंजलि ग्रुप का रीवा में निवेश आना एक सुखद संकेत है.
इस अवसर पर पतंजलि संस्थान के संस्थापक, सचिव, आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि रीवा में संभावनाएं भी हैं और भावनाएं भी. उपमुख्यमंत्री इस क्षेत्र के विकास और रोजगार के लिए प्रतिबद्ध हैं, और पतंजलि इस दिशा में एक नई योजना बनाएगा. पहला चरण पूरा हो चुका है, रजिस्ट्री का कार्य हो गया है. हमने दुनिया के लिए एक व्यापक और वृहद रूपरेखा तैयार की है. हमें विश्वास है कि विकास की गंगा के साथ-साथ किसानों के जीवन में भी समृद्धि आएगी. हम यहां एक रो आधारित प्रोडक्ट बनाएंगे, कल्टीवेशन वगैरह भी करेंगे. जो उत्पाद हम बनाएंगे, उनका कच्चा माल किसान उगाएंगे और हम उनसे ही खरीदेंगे. इसे हम इंडस्ट्रियल फूड पार्क के रूप में विकसित करेंगे.
