एनजीटी ने महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा में ‘फीकल बैक्टीरिया’ के बढ़ते स्तर पर चिंता जतायी

नयी दिल्ली, (वार्ता) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने प्रयागराज में गंगा में, खास तौर पर महाकुंभ मेले के दौरान, ‘फीकल बैक्टीरिया’ के बढ़ते स्तर पर गंभीर चिंता जतायी है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से हाल ही में प्रस्तुत रिपोर्ट में इस निष्कर्ष पर प्रकाश डाला गया है।

सीपीसीबी रिपोर्ट द्वारा प्रस्तुत प्रमुख निष्कर्ष बताते हैं कि महाकुंभ मेले के दौरान ‘फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी।

रिपोर्ट के अनुसार, 12-13 जनवरी को किये गये परीक्षणों के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) से संबंधित स्नान मानकों को पूरा करने में विफल रही। कई निगरानी बिंदुओं पर पानी की गुणवत्ता फीकल कोलीफॉर्म के संबंध में प्राथमिक स्नान मानकों के अनुरूप भी नहीं थी। मल संदूषण में वृद्धि सीधे तौर पर तीर्थयात्रियों की भारी आमद से जुड़ी थी, खासकर पवित्र स्नान के दिनों में।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के चालू रहने के बावजूद शाही स्नान और अन्य प्रमुख अनुष्ठानों के दौरान संदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अचानक और भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान करने से मौजूदा अपशिष्ट प्रबंधन ढांचे पर बोझ बढ़ गया, जिससे बैक्टीरिया के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई।

अपर्याप्त सीवेज निपटान तंत्र और अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन को भी पानी की गुणवत्ता में गिरावट के लिए योगदान देने वाले कारक बताया गया।

न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश) के नेतृत्व में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अधिकारियों को जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाये गये उपायों के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाया है। न्यायाधिकरण ने पहले यूपीपीसीबी को एक विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन बोर्ड ने केवल जल गुणवत्ता परीक्षण के परिणाम प्रदान किए, जिसमें उच्च मल संदूषण की पुष्टि हुई। आंशिक जवाब से असंतुष्ट एनजीटी ने एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है और 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में यूपीपीसीबी के प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य की है।

प्रयागराज में जल गुणवत्ता और सीवेज उपचार की निगरानी दिसंबर 2024 से एनजीटी की सख्त निगरानी में है। ट्रिब्यूनल ने पहले गंगा और यमुना में अनुपचारित सीवेज छोड़े जाने की चिंताएं सामने आने के बाद जल प्रदूषण, सीवेज उपचार और अपशिष्ट प्रबंधन की बढ़ी हुई निगरानी के आदेश जारी किये थे। महाकुंभ में करोड़ों की भीड़ जुटने के साथ ट्रिब्यूनल पवित्र नदी के पारिस्थितिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सख्त प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर जोर दे रहा है।

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