आयकर कानून 1961 के व्यापक सरलीकरण की दिशा में आयकर विधेयक, 2025

नयी दिल्ली 13 फरवरी (वार्ता) आयकर विधेयक-2025 को आज लोकसभा में पेश किया गया जो आयकर कानून- 1961 की भाषा और संरचना के सरलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस विधेयक को पेश किये जाने के बाद कहा कि सरलीकरण की प्रक्रिया तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित थी जिसमें बेहतर स्पष्टता और संबद्धता के लिए पठनीय और संरचनात्मक सरलीकरण, निरंतरता और निश्चितता सुनिश्चित करने के लिए कर नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं और करदाताओं के लिए पूर्वानुमान बरकरार रखते हुए कर दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया है।

उसने कहा कि विधेयक के बनाये जाने के दौरान त्रिआयामी दृष्टिकोण को अपनाया गया जिसमें पठनीयता के बेहतर करने के लिए जटिल भाषा को हटाना, बेहतर नेविगेशन के लिए गैर-जरूरी और दोहराव वाले प्रावधानों को हटाना और संदर्भ में आसानी के लिए अनुच्छेदों को तार्किक रूप से पुनर्गठित करना शामिल है। परामर्शात्मक और अनुसंधान-आधारित दृष्टिकोण भी अपनाया गया है। सरकार ने करदाताओं, व्यवसायों, उद्योग संघों और पेशेवर निकायों से परामर्श लेते हुए व्यापक हितधारक जुड़ाव सुनिश्चित किया। 20,976 ऑनलाइन सुझावों में से, जहां संभव हो, प्रासंगिक सुझावों की जांच की गई और उन्हें शामिल किया गया। उद्योग विशेषज्ञों और कर पेशेवरों के साथ परामर्श किया गया और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए ऑस्ट्रेलिया और यूके के सरलीकरण मॉडल का अध्ययन किया गया।

समीक्षा से अधिनियम के आकार में काफी कमी आई है, जिससे यह अधिक सुव्यवस्थित और संक्षिप्त बन गया है। प्रमुख न्यूनीकरण का सारांश नीचे दिया गया है। वर्तमान कानून में कुल 512,535 शब्द है जबकि नये विधेयक में 259,676 शब्द ही है। इस तरह से इसमें 252,859 शब्दों की कमी आयी है। पहले कानून में 47 अध्याय हैं जबकि नये में 23 अध्याय है। अनुच्छेद भी 819 से कम होकर 536 रह गये हैं।

सीबीडीटी ने कहा कि नये विधेयक में सरल भाषा, कानून को और अधिक सुलभ बनाया गया है। संशोधनों का समेकन, हिस्सों में विभाजित करने को कम किया गया है। अधिक स्पष्टता के लिए अप्रचलित और अनावश्यक प्रावधानों को हटा दिया गया है। बेहतर पठनीयता के लिए तालिकाओं और फॉर्मूले के जरिए संरचनात्मक आधार पर सुव्यवस्थित किया गया है। मौजूदा कराधान सिद्धांतों का संरक्षण, उपयोगिता बढ़ाते हुए निरंतरता सुनिश्चित करने की कोशिश की गयी है। इन उपायों से एक सरल और स्पष्ट कर ढांचा प्रदान करके ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने की कोशिश की गयी है।

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